उज्जैन । गुरुवार को महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivaratri festival) पर दिनभर भूत भावन भगवान महाकालेश्वर के दर्शन (Lord Mahakal) के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु जहां भगवान महाकाल के दर्शन करके निहाल हो गए, वहीं दर्शन के लिए जिला प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्थाओं की भी सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। जोधपुर से आए ईशांत ने बताया कि मात्र 20 से 25 मिनट में उन्हें भगवान महाकालेश्वर के (Lord Mahakal) दर्शन हो गए। वह यहां की दर्शन व्यवस्था के कायल हो गए हैं। वे अकेले जोधपुर से भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन (Ujjain) आए थे। महाशिवरात्रि पर भगवान के दर्शन होंगे, इसकी कल्पना से मारे खुशी के वे दो रातों से सो नहीं पाए थे। ईशांत को भली-भांति पता था कि हर वर्ष महाशिवरात्रि पर भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं। उनके मन में यह शंका थी की क्या पता भगवान महाकाल के दर्शन हो सकेंगे या नहीं, लेकिन उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि मात्र 25 मिनट में उन्हें भगवान महाकालेश्वर के दर्शन आसानी से हो जाएंगे। यहां आकर उनका सपना पूरा हुआ और वह जय महाकाल बोलते हुए खुश होकर अपने घर के लिए रवाना हुए।
बड़े सुकून से हुए दर्शन
सीहोर से आए श्रद्धालु शांति विलास त्यागी ने बताया कि महाशिवरात्रि जैसे पर्व पर इतने सुकून से भगवान के दर्शन करने का जो सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है उससे उन्हें अलौकिक अनुभूति प्राप्त हुई है ।उन्हें यहां की व्यवस्था बहुत अच्छी लगी।
प्रशासन की व्यवस्था लाजवाब, ऐसी व्यवस्था कहीं और नहीं देखी
सूरत से आए दर्शनार्थियों ने यहां की व्यवस्था को लाजवाब कहा। उनका कहना है कि ऐसी व्यवस्था उन्होंने कहीं नहीं देखी। जिस तरह सुगमता से और जिस प्यार और प्रेम से यहां दर्शन हो रहे हैं उसकी तुलना नहीं की जा सकती। सूरत निवासी कुसुम एवं पीयूष अग्रवाल और उनके साथी आज भगवान महाकालेश्वर के दर्शन कर गदगद थे। उन्होंने कहा कि वे यहां का दौरा रद्द करने वाले थे किंतु महाकाल की ऐसी कृपा हुई कि इतने आनंददाई दर्शन हो गए। उन्होंने प्रदेश सरकार जिला प्रशासन की प्रशंसा की। यहां की व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते उनको शब्द कम पड़ रहे थे।
दिव्यांग ने निशुल्क जल सेवा की
महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivaratri festival) पर एक और जहां पूरा प्रशासन मंदिर में श्रद्धालुओं की सेवा तथा व्यवस्था के लिए मुस्तैद था, वही आम नागरिक भी भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए तत्पर थे। शायद यह भगवान महाकाल की पावन नगरी का प्रताप ही है कि यहां रहने वालों में सेवा भाव प्रमुख माना जाता है। प्रशासनिक अधिकारी भी महाशिवरात्रि जैसे (Mahashivaratri festival) विशेष पर्व पर मंदिर में ड्यूटी नहीं बल्कि सेवा भाव से कार्य करते हैं। शहर के गौरव विश्वकर्मा दिव्यांग है लेकिन उनके सेवा के जज्बे की सभी ने उस समय तारीफ की, जब उन्होंने स्वयं के व्यय से श्रद्धालुओं को पानी की बोतलें वितरित की। गौरव इस सेवा को ही ईश्वर की सेवा मानते हैं। उनका मानना है कि उज्जैन के हर करण में भगवान महाकाल बसते हैं। ऐसे में महाशिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं की सेवा करने का मौका भला वे कैसे छोड़ सकते थे।