- नवरात्रि में रविवार को 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने पहुँचे-स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने कराया था पुनर्निर्माण
उज्जैन। प्राचीन गढ़कालिका मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। कल रविवार को छुट्टी के दिन यहां 25 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी और यहां की प्रतिमाएं सतयुग काल की है। बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। वहीं स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था।
उल्लेखनीय है कि वैसे तो गढ़कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है, किंतु उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे। वहीं गढ़कालिका देवी महाकवि कालिदास की भी आराध्य देवी है। उन्हीं के नाम पर उनका कालिदास नाम पड़ा था। यहां पर नवरात्रि में अन्य उत्सवों के दौरान यज्ञों का आयोजन होता है। मंदिर की पुजारी करिश्मा बागड़ी ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मंदिर प्रांगण में नवरात्रि के प्रथम दिन से ही 5 विद्वान पंडितों द्वारा सतत हवन और यज्ञ किया जा रहा है। यह पूरे नौ दिन तक चलेंगे। मंदिर के प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार नवरात्रि के दौरान मंदिर में प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे हैं, लेकिन रविवार को भीड़ अधिक रही और 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने देवी के दर्शन किए। मंदिर को नवरात्रि में आकर्षक रोशनी से सजाया गया है और यहां प्रांगण में शाम के समय दीपमालिकाएं भी प्रज्वलित की जा रही है।