मुंबई (Mumbai) । महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने इस बात का खुलासा किया है कि 2019 में एनसीपी (NCP) के साथ सरकार बनाने कि लिए उन्होंने शरद पवार (Sharad Pawar) की सहमति ली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि 3-4 दिनों के बाद शरद पवार अपने वादों से मुकर गए। यही कारण था कि अजीत पवार (Ajit Pawar) के पास सुबह-सुबह शपथ ग्रहण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। फडणवीस ने यह भी कहा कि यह उनके लिए यह आश्चर्यजनक था जब पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम के रूप में शामिल होने के लिए कहा गया था।
अजित पवार के साथ शपथ ग्रहण पर फडणवीस ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे ने 2019 में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के साथ चर्चा शुरू की और जैसे-जैसे उनकी बातचीत आगे बढ़ी, एनसीपी के कुछ लोगों ने बीजेपी से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि एनसीपी बीजेपी के साथ जाने और एक स्थिर सरकार बनाने को तैयार है।
फडणवीस ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा, “शरद पवार के साथ एक बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सरकार बनाई जाएगी। इसके लिए कार्यप्रणाली तय की गई। सरकार बनाने के लिए सभी शक्तियां मुझे और अजीत पवार को दी गईं। हमने इसी के मुताबिक सारी तैयारी की। शरद पवार ने 3-4 दिन बाद ही मुकर गए। इसके बाद अजित पवार के पास मेरे साथ आने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था, क्योंकि वह बेनकाब हो जाते और पूरी तरह से खत्म हो जाते। उन्होंने शपथ ग्रहण के साथ आगे बढ़ने की बात कही। उन्हें विश्वास था कि शरद पवार साथ आएंगे।”
उन्होंने कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया शरद पवार के साथ चर्चा के साथ शुरू हो गई थी। उन्होंने कहा था कि गठबंधन तोड़कर उद्धव ने जो किया वह ‘पीठ में छूरा घोंपने’ जैसा था। फडणवीस ने कहा, “शरद पवार ने जो किया वह दोहरा खेल था। उन्होंने हमारे साथ दोहरा खेल खेला।”
एकनाथ शिंदे की सरकार में डिप्टी सीएम बनाए जाने पर फडणवीस ने कहा, “मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि यह मेरे लिए एक झटका था। मैं इस मानसिकता में चला गया था कि मुझे पार्टी के लिए काम करना है और अचानक डिप्टी सीएम बनने के लिए कहा गया। अगर आप पूछें तो मैं आज कहूंगा कि यह एक सही निर्णय था। क्योंकि मैं वहां हूं, जहां मैं एजेंडा ठीक से चला पा रहा हूं। पार्टी का ख्याल रख पा रहा हूं। सरकार को मेरे अनुभव से लाभ मिल रहा है। मेरा मानना है कि तब लिया गया निर्णय सही था।”
उन्होंने कहा, “मैंने अपनी पार्टी से कहा कि अगर मैं डिप्टी सीएम बना तो इस बात का गलत संदेश जाएगा कि मैं सीएम पद का लालची हूं। मुझे पार्टी का काम दीजिए। लेकिन बाद में पार्टी के भीतर चर्चा हुई और पार्टी नेताओं को लगा कि यह गठबंधन की सरकार है और कोई अनुभवी आवश्यक था।”
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