मुंबई । राकांपा सुप्रीमो (NCP Supremo) शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा कि देवेंद्र फड़णवीस (Devendra Fadnavis) को इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है (Has No Knowledge of History) । वह अज्ञानतावश कई बातें कहते हैं (He says Many Things Out of Ignorance) और उन्हें ज्यादा महत्व (Much Importance) नहीं दिया जाना चाहिए (Should Not be Given) । उनकी टिप्पणियों को भी ‘बचकाना और राजनीतिक अपरिपक्वता’ करार दिया । सत्तारूढ़ शिवसेना के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का बचाव करने का प्रयास करते हुए, सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार पर निशाना साधने का प्रयास किया, लेकिन अंतत: उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
केंद्र में भाजपा सरकार के 9 साल पूरे होने के अवसर पर रविवार रात चंद्रपुर में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए, फड़नवीस ने शिंदे को विश्वसनीयता की चादर से ढकने के लिए इतिहास का सहारा लिया। जून 2022 में शिंदे और अन्य के विद्रोह का जिक्र करते हुए, फड़नवीस ने 1978 में इसी तरह की एक घटना की ओर ध्यान आकर्षित किया, जब 38 वर्षीय पवार तत्कालीन सीएम वसंतराव ‘दादा’ पाटिल को पछाड़कर राज्य के सबसे कम उम्र के सीएम बन गए थे, जो एक रिकॉर्ड है। वह तीन बार और मुख्यमंत्री बने, जो एक उपलब्धि है।
45 साल पुरानी घटना का हवाला देते हुए, फड़नवीस ने कहा कि पवार 40 विधायकों के साथ दिवंगत पाटिल के मंत्रिमंडल से बाहर चले गए थे और तत्कालीन विपक्षी भारतीय जनता पार्टी समूह और अन्य की मदद से सरकार बनाई थी और उनका शासन 18 महीने तक चला। उन्होंने कहा,“पवार ने जो किया उसे उनका राजनीतिक कौशल कहा गया, लेकिन जब शिंदे ने वही किया, तो इसे ‘बेईमानी’ कहा गया, यह कैसे हो सकता है?”
पवार से जब इस पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, तो शांत और मुस्कुराते हुए पवार ने पुणे में कहा कि जब उन्होंने 1978 में सरकार बनाई थी, तो “तत्कालीन भाजपा, जो जनसंघ थी” उनके साथ आई थी। “फडणवीस उस समय प्राथमिक विद्यालय में रहे होंगे। अतः उस काल का उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। वह अज्ञानतावश ऐसी बातें कहते हैं और उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।” फड़णवीस को इतिहास का ज्ञान न होने की बात कहते हुए पवार ने बताया कि, “मैंने सभी के समर्थन से सरकार बनाई थी। जनसंघ के दिवंगत उत्तमराव पाटिल भी दिवंगत हशू आडवाणी और अन्य लोगों के साथ सरकार का हिस्सा थे। वह (फडणवीस) शायद उस समय प्राथमिक विद्यालय में थे, इसलिए उन्हें उस युग के बारे में कुछ भी नहीं पता है। ”
संयोग से, वर्षों बाद जब पाटिल राजस्थान के राज्यपाल थे, तो उन्होंने 1987 में पवार को अपने ‘राजनीतिक उत्तराधिकारी’ के रूप में नियुक्त किया था। राकांपा सुप्रीमो ने पिछले सप्ताह पटना में विपक्ष के सम्मेलन में कुछ भाजपा नेताओं की टिप्पणियों को भी ‘बचकाना, राजनीतिक अपरिपक्वता’ करार दिया। एनसीपी में ओबीसी को शोपीस की तरह देखे जाने के फड़णवीस के आरोपों पर हमला करते हुए पवार ने कहा कि छगन भुजबल पहले एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष थे (1999 में पार्टी के जन्म के बाद)। उन्होंने कहा, ”वह (फडणवीस) इस बात से अनभिज्ञ हैं, मुझे आश्चर्य है कि उन्होंने कितना पढ़ा है, वे इन सब पर ध्यान दिए बिना बयान देते हैं, लेकिन लोग वास्तविकता से अवगत हैं।
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