नयी दिल्ली । पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि भारत जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम करने के लिए प्रस्तावित लक्ष्यों की तरफ से तेजी से अग्रसर है और विकसित देशों को इस संबंध में अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरी करनी चाहिये।
जलवायु क्रियान्वयन पर चौथी मंत्री स्तरीय बैठक में श्री जावड़ेकर ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि भारत ने वर्ष 2005 से 2014 के बीच सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सापेक्ष उत्सर्जन-तीव्रता में 21 प्रतिशत की कमी कर वर्ष 2020 तक के लिए स्व-निर्धारित लक्ष्य समय से पहले ही पूरा कर लिया था। जीडीपी में एक प्रतिशत की वृद्धि से कार्बन उत्सर्जन में होने वाली वृद्धि को जीडीपी के सापेक्ष उत्सर्जन-तीव्रता कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि पिछले पाँच वर्ष में देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 226 प्रतिशत बढ़कर 87 गीगावाट हो गई है। इससे देश के ऊर्जा स्रोत में अजैव ईंधन का अनुपात बढ़कर मई 2020 में 37.7 प्रतिशत पर पहुँच गया है। मार्च 2015 में यह 30.5 प्रतिशत था। भारत ने 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है।
विकसित देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम करने के लिए वर्ष 2020 तक विकासशील देशों की 10 खरब डॉलर की वित्तीय मदद के वादे की याद दिलाते हुये श्री जावड़ेकर ने कहा “मैं उम्मीद करता हूँ कि इस साल के बाकी बचे पाँच महीने में विकसित देश अपना वायदा पूरा करेंगे।” विकसित देशों ने पेरिस समझौते में यह वायदा किया था। बैठक में कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को निकालने के दौरान पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्यों का ध्यान रखने पर सहमति बनी। यूरोपीय संघ, चीन और कनाडा ने संयुक्त रूप से बैठक की अध्यक्षता की।
पर्यावरण संरक्षण के भारत के प्रयासों को रेखांकित करते हुये श्री जावड़ेकर ने बताया कि पिछले पाँच साल में आठ करोड़ ग्रामीण परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन दिये गये हैं। उजाला योजना के तहत 36 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किये गये हैं जिससे 47 अरब यूनिट बिजली की सालाना बचत हो रही है और कार्बन डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन 3.8 करोड़ टन कम हुआ है। देश का वन क्षेत्र 8,07,276 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल भू-क्षेत्र का 24.56 प्रतिशत है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved