इंदौर न्यूज़ (Indore News)

26 फीसदी सस्ते पौधे लगाने वाली देवासी फर्म भागी, इंदौरी ठेकेदारों ने चमकाया भी

  • मामला प्राधिकरण द्वारा मंजूर दो लाख पौधे लगाने के ठेके का, ताबड़तोड़ बुलाना पड़े नए सिरे से टेंडर, 12 लाख की राशि जब्त करने के साथ तीन साल के लिए किया ब्लैक लिस्टेड

इंदौर। अभी सभी विभागों को पौधे लगाने के लक्ष्यदिए गए हैं, ताकि 51 लाख का संकल्प पूरा हो सके। इंदौर विकास प्राधिकरण भी सवा 2 लाख से अधिक पौधे इस अभियान के तहत लगवा रहा है। मगर उसके साथ एक ठेकेदार फर्म ने ही धोखाधड़ी कर दी। दरअसल लगभग 2 लाख पौधों को लगाने के 13 टेंडर देवास की फर्म एसके कंस्ट्रक्शन के पक्ष में खुले, क्योंकि उसने 26 फीसदी कम दर के टेंडर भर दिए थे। एक साथ इतने टेंडर खुल जाने और कम समय में पौधारोपण का लक्ष्य पूरा न कर पाने के चलते ठेकेदार फर्म घबरा गई और उसने एक पत्र प्राधिकरण को सौंप दिया, जिसमें उसने लिए गए ठेके को निरस्त करने का अनुरोध किया। इधर सकते में आए प्राधिकरण ने जहां इस फर्म को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किया। साथ ही टेंडर के साथ जमा की गई 12 लाख की राशि भी जब्त कर ली और ताबड़तोड़ नए सिरे से छुट्टी के दिन टेंडर अपलोड करना पड़े।

पिछले दिनों प्राधिकरण में उस वक्त हल्ला मचा जब इंदौर के ही ठेकेदारों को पौधारोपण के टेंडर चुनिंदा ही मिल सके और 13 टेंडर देवास की फर्म ले उड़ी। नतीजतन प्राधिकरण के इन ठेकेदारों ने हल्ला तो मचाया, वहीं विधायक से लेकर विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से भी शिकायत की और मीडिया में भी टेंडरों में हुई कथित गड़बड़ी की खबरें छपवाई। हालांकि अग्निबाण ने यह स्पष्ट कर दिया था कि प्राधिकरण ने नियम के मुताबिक देवास की फर्म के 13 टेंडरों को सही मंजूरी दी है और विभागीय मंत्री ने भी इसे स्वीकार कर लिया था। मगर इस पूरे मामले में सूत्रों का यह भी कहना है कि प्राधिकरण के ठेकेदारों ने रिंग बनाकर टेंडर लेना चाहे थे, जिसमें वे असफल रहे और आरोप-शिकायतों के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो देवास की फर्म को डराया-धमकाया और चमकाया भी गया कि वह इंदौर में कैसे काम करेगी, देखते हैं।


नतीजतन देवास की फर्म एक साथ मिले इतने सारे टेंडरों से जहां घबरा गई, वहीं इंदौरी ठेकेदारों से मिली धमकी ने भी उसके हौंसले पस्त कर दिए, जिसके चलते उसने प्राधिकरण सीईओ को लिखित में पत्र सौंपकर मंजूर टेंडरों को निरस्त करने का अनुरोध किया। चूंकि नियम के मुताबिक प्राधिकरण इन टेंडरों को सीधे निरस्त नहीं कर सकता। लिहाजा उसने फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने और उसकी सुरक्षानिधि की राशि 12 लाख जब्त करने की प्रक्रिया तो की ही, वहीं उसे ताबड़तोड़ शनिवार की छुट्टी के दिन 13 नए टेंडर अपने पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड करना पड़े और समाचार-पत्र में भी इन टेंडरों का प्रकाशन करवाया, ताकि हफ्तेभर में नए टेंडरों को खोला जा सके। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि देवास की फर्म ऐनवक्त पर पीछे हट गई। चूंकि पौधारोपण अभी अगले हफ्ते से ही शुरू होना है, जिसके चलते नए सिरे से टेंडर बुलाना पड़े। प्राधिकरण ने अभी 15 टेंडर ऑनलाइन बुलाए हैं, जो कि 5, 6 और 8 जुलाई को शाम 6 बजे तक खोले जाएंगे। इसमें मियावाकी पद्धति से फॉरेस्ट डेवलप करने के साथ-साथ अन्य पौधों को लगाने और फिर 18 माह तक उनकी देखभाल करने का जिम्मा ठेकेदार फर्म का ही रहेगा। दूसरी तरफ अब जो नए टेंडर प्राधिकरण के ठेकेदारों द्वारा लिए जाएंगे उन्हें 26 फीसदी या उससे कम की दर ही भरना पड़ेगी, तभी उनके टेंडर मान्य होंगे। पहले ठेकेदारों ने रिंग बनाकर 10 से 15 फीसदी कम दर में टेंडर भरकर हासिल करने की योजना बनाई थी, मगर देवास की फर्म ने उनकी योजना को चौपट कर दिया था।

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