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    Dev Uthani Ekadashi 2022: कब है देवउठनी एकादशी? जानें तिथि, मुहूर्त, कथा व पूजा विधि

  • October 30, 2022

    नई दिल्‍ली। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. सभी एकादशियों में देवउठनी एकादशी(Dev Uthani Ekadashi) विशेष महत्व रखती होगी. इस दिन श्रीहरि चार माह बाद योग निद्रा से जागते हैं और चातुर्मास की समाप्ति होती है. 4 नवंबर 2022 को देवउठनी एकादशी का व्रत है.

    मान्यता है कि देवउठनी एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. जातक मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम को जाता है. स्वंय श्रीकृष्ण (Sri Krishna) ने एकादशी की महत्ता के बारे में युधिष्ठिर (Yudhisthira) को बताया था. कहते हैं कि देवउठनी एकादशी पर प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में गन्ने का मंडर बनाकर श्रीहरि के स्वरूप शालीग्राम और तुलसी विवाह के बाद कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए, इसके सुनने मात्र से पाप कर्म खत्म हो जाता है. आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी व्रत कथा.

    देवउठनी एकादशी 2022 मुहूर्त (Dev uthani ekadashi 2022 Muhurat)
    कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तिथि शुरू – 3 नवंबर 2022, शाम 7.30
    कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त – 4 नवंबर 2022, शाम 06.08
    देवउठनी एकादशी व्रत पारण समय – सुबह 06.39 – सुबह 08.52 (5 नवंबर 2022)


    देवउठनी एकादशी कथा
    पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार एक राज्य में एकादशी के दिन प्रजा से लेकर पशु तक अन्न ग्रहण नहीं करते थे. न ही कोई अन्न बेचता था. एक बार की बात है भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने राजा की परीक्षा लेने के लिए सुंदरी का धर लिया और सड़क किनारे बैठ गए. राजा वहां से गुजरे तो सुंदरी से उसके यहां बैठने का कारण पूछा. स्त्री ने बताया कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं वह बेसहारा है. राजा उसके रूप पर मोहित हो गए और बोले कि तुम मेरी रानी बनकर महल चलो.

    सुंदरी के भेष में श्रीहरि ने राजा के सामने रखी ऐसी शर्त
    सुंदरी ने राजा की बात स्वीकार ली लेकिन एक शर्त रखी कि राजा को पूरे राज्य का अधिकार उसे सौंपना होगा और जो वह बोलेगी, खाने में जो बनाएगी उसे मानना होगा. राजा ने शर्त मान ली. अगले दिन एकादशी पर सुंदरी ने बाजारों में बाकी दिनों की तरह अन्न बेचने का आदेश दिया. मांसाहार भोजन बनाकर राजा को खाने पर मजबूर करने लगी. राजा ने कहा कि आज एकादशी के व्रत में मैं तो सिर्फ फलाहार ग्रहण करता हूं. रानी ने शर्त याद दिलाते हुए राजा को कहा कि अगर यह तामसिक भोजन नहीं खाया तो मैं बड़े राजकुमार का सिर काट दूंगी.

    विष्णु की परीक्षा में पास हुए राजा
    राजा ने अपनी स्थिति बड़ी रानी को बताई. बड़ी महारानी ने राजा से धर्म का पालन करने की बात कही और अपने बेटे का सिर काट देने को मंजूर हो गई. राजकुमार ने भी पिता को धर्म न छोड़ने को कहा और खुशी खुशी अपने सिर की बलि देने के लिए राजी हो गए. राजा हताश थे और सुंदरी की बात न मानने पर राजकुमार का सिर देने को तैयार हो गए. तभी सुंदरी के रूप से भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि ये तुम्हारी परीक्षा थी और तुम इसमे पास हो गए. श्रीहरि ने राजा से वर मांगने को कहा. राजा ने इस जीवन के लिए प्रभू का धन्यवाद किया कहा कि अब मेरा उद्धार कीजिए. राजा की प्रार्थना श्रीहरि ने स्वीकार की और वह मृत्यु के बाद बैंकुठ की प्राप्ति हुई.

    देवउठनी एकादशी पूजा विधि
    दशमी तिथि के दिन से ही लहसुन, प्याज सहित तामसिक भोजन (vengeful food) का त्याग कर देना चाहिए। इसके अगले दिन एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठे। नित्य कर्मों से निवृत होकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद व्रत संकल्प लें। अब सूर्यदेव (Sun god) को जल अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कपूर, बाती, पीले मिष्ठान्न आदि से करें। अंत में आरती करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती करने के पश्चात फलाहार करें। दिन में एक बार फल और जल ग्रहण कर सकते हैं। 5 नवंबर को नित्य दिनों की तरह ही पूजा कर पारण कर सकते हैं। इसके ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न दान कर भोजन ग्रहण करें।

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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