नई दिल्ली: अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भारत ने रूस से व्यापार को बढ़ाने का फैसला किया है. मामले के जानकारों का कहना है कि भारत रूस से अतिरिक्त दो अरब डॉलर का निर्यात बढ़ाने वाला है. रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण दोनों देश अपने व्यापार को स्थानीय मुद्रा में आगे बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं. यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और कई जरूरी सामानों की शिपमेंट रोक दी है. भारत रूस को उन सामानों की शिपमेंट भेजने की तैयारी कर रहा है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न बताने की शर्त पर मामले से परिचित लोगों ने कहा कि भारत रूस को वो चीजें देगा जो प्रतिबंधों के चलते अमेरिका और उसके सहयोगियों ने भेजना बंद कर दिया है. इन सामानों में दवाइयां, प्लास्टिक, जैविक और अकार्बनिक रसायन, घरेलू सामान, चावल, चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थ, दूध उत्पाद शामिल हैं.
रूस के तेल पर अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने प्रतिबंध लगाए हैं जिससे उसके तेल की कीमतों में गिरावट आई है. ऐसे में उसने भारत को रियायती दरों पर तेल का ऑफर दिया है. भारत अपने ईंधन तेल का केवल 1-2 प्रतिशत तेल ही रूस से आयात करता है.
भारत भी रूसी तेल के आयात बढ़ाने को राजी हो गया है जिसे लेकर अमेरिका सहित कई देशों ने भारत की आलोचना की है. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक वर्चुअल बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत के ऊर्जा आयात में विविधता लाने के लिए अमेरिका मदद को तैयार है. इसके बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि वो रूसी ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयात में तेजी लाने या बढ़ाने को भारत के हित में नहीं मानते हैं.’
रूस से व्यापार बढ़ाने की खबर पर जब वाणिज्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता से ईमेल के जरिए जवाब मांगा गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. व्यापार विभाग के एक विश्लेषण से पता चलता है कि भारत रूस को जिन 20 आवश्यक वस्तुओं का निर्यात करता है, उनमें बढ़ोतरी कर सकता है. भारत रूस को 20 आवश्यक वस्तुओं के अलावा समुद्री उत्पाद, कपड़ा, जूते, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स भेजना चाहता है.
फिलहाल, भारत रूस को कम से कम तीन अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है. भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात के मुकाबले ये बेहद कम है. भारत अमेरिका को 68 अरब डॉलर का निर्यात करता है. रूस को भारत का निर्यात अधिक हो सकता था लेकिन सामान ले जाने की अधिक लागत, स्वच्छता नियमों, भाषा अवरोध आदि कारणों से ये व्यापार बढ़ नहीं पाया है.
साल 2020 में भारत-रूस के बीच कुल 8.1 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था लेकिन साल 2021-22 में इसमें उछाल आया है. अप्रैल 2021 से 11 महीनों तक दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर 11.8 अरब डॉलर हो गया है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved