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    चाक-चौबंद व्यवस्था के बावजूद प्रशासन की नाक के नीचे हो गया बाल विवाह

  • May 17, 2024

    • अब दूल्हा-दुल्हन को अलग करने की जुगत भिड़ा रहे, परिजनों ने टीम को धमकाया, आज हो सकती है एफआईआर

    इंदौर। महीनों से लगातार चाक-चौबंद व्यवस्था में जुटे प्रशासन की नाक के नीचे ही दो भाई-बहनों का बाल विवाह हो गया और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। अब प्रशासन दूल्हा-दुल्हन को अलग करने की जुगत भिड़ा रहा है। कल दुल्हन को बालिग होने तक विदा न करने की समझाइश देने पहुंची टीम को परिजनों ने न केवल धमकाया, बल्कि अभद्रता करते हुए उन्हें चलता कर दिया।
    नए वर्ष की शुरुआत होते ही जिला प्रशासन की टीम बाल विवाह रोकने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही थी। लगातार दो उडऩदस्ते और 15 परियोजना अधिकारियों सहित एसडीएम, तहसीलदार को भी ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि उनके क्षेत्र में कोई भी बाल विवाह न होने पाए। हर विवाह समारोह पर कड़ी नजर रखी जाए, लेकिन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त अमला अपनी दूसरी जिम्मेदारी को भूल ही गया और प्रशासन की नाक के नीचे असरावदखुर्द में एक नाबालिग लडक़ी और उसके नाबालिग भाई की अलग-अलग गांव में शादी करा दी गई।

    अज्ञात ने विवाह होने के बाद दी सूचना
    ग्राम असरावदखुर्द निवासी परिवार के दो नाबालिगों का विवाह कराया जा चुका है। विवाह की सूचना मिलने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी ममता कनेश और सुपरवाइजर राधा यादव बिना किसी दलबल के जांच करने पहुंच गईं। समझाइश देते हुए उन्होंने जहां दोनों नाबालिगों के जन्म प्रमाण पत्र व दस्तावेजों की मांग की, वहीं बालिग होने तक दुल्हन को विदा नहीं करने की समझाइश दी, लेकिन बबलू चौहान नामक व्यक्ति ने दस्तावेज देने से मना करते हुए अधिकारियों के साथ अभद्रता और गाली-गलौज भी की।

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    वीडियो सौंपा पुलिस को, आज हो सकती है एफआईआर
    उक्त पति-पत्नी द्वारा अमले के साथ की गई अभद्रता का वीडियो बनाकर अमले ने पुलिस को सौंपा है। तेजाजी नगर थाने में आज शासकीय कार्य में बांधा पहुंचाने और महिलाओं के साथ अभद्रता करने के मामले में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बबलू चौहान से पूछताछ कर नाबालिग बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज मांगे गए। ज्ञात हो कि 17 वर्ष की बालिका और 19 वर्ष के बालक का विवाह किया गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत उक्त विवाह को मान्यता देते हुए बाद में विदाई करने या ससुराल भेजने का कोई नियम नहीं है। ऐसे में अधिकारियों की कार्यप्रणाली और कार्यकुशलता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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