नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में देश में डिजिटल बैंकिंग में काफी तेजी आई है. खासकर यूपीआई के प्रसार ने डिजिटल बैंकिंग को बड़ा पुश दिया है. इसके चलते दूर-दराज के गांवों में भी लोग डिजिटली पैसों का लेन-देन कर रहे हैं. इसने कैश पर लोगों की निर्भरता कम की है. हालांकि उसके बाद भी एटीएम की वैल्यू कम नहीं हुई है.
अगले एक से डेढ़ साल की तैयारी
बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट बताती है कि बैंक देश भर में हजारों नए एटीएम लगाने की तैयारी कर रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो देश भर में बैंक अगले 12 से 18 महीने के दौरान 10 हजार नए एटीएम लगा सकते हैं. इसके लिए उन्होंने तैयारियां तेज कर दी हैं. यह हाल तब है, जबकि सिर्फ पिछले वित्त वर्ष के दौरान पहले से ही हजारों नए एटीएम लगाए जा चुके हैं.
लगाए गए करीब साढ़े हजार नए एटीएम
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि अकेले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान बैंकों ने देश भर में 4,452 नए एटीएम लगाए. इस तरह देश भर में बैंक एटीएम की संख्या वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में 2,19,513 रही. पिछले वित्त वर्ष में जो नए एटीएम लगाए गए, उनमें व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही. ऐसे ऑपरेटर ने वित्त वर्ष के दौरान 4,292 नए एटीएम लगाए.
अभी मार्केट में इतना कैश सर्कुलेशन
अब सवाल उठता है कि जब देश में डिजिटल बैंकिंग तेजी से बढ़ रही है और कैश पर लोगों की निर्भरता कम हो रही है, तो उसके बाद भी बैंक नए एटीएम क्यों लगा रहे हैं, वो भी हजारों की संख्या में? आरबीआई की एनुअल रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक भारत में 33.78 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में थी. यह नोटबंदी से ऐन पहले की तुलना में लगभग डबल है. हालांकि इसका एक पक्ष ये भी है कि नकदी का सर्कुलेशन वित्त वर्ष 2017-18 के बाद सबसे कम गति से बढ़ा है.
ये है नए एटीएम लगाने का कारण
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि कैश अभी भी प्रासंगिक है. इस कारण एटीएम भी प्रासंगिक हैं. चूंकि बैंकों के बहुत सारे एटीएम धीरे-धीरे पुराने हो रहे हैं और परिचालन में पूरी तरह रे सक्षम नहीं हो पा रहे हैं, उन्हें बदलने की जरूरत पड़ रही है. इसी कारण पिछले वित्त वर्ष के दौरान करीब साढ़े चार हजार नए एटीएम लगाए गए और अभी करीब 10 हजार नए एटीएम लगाने की तैयारी चल रही है.
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