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    बैन के बावजूद भारत ने निर्यात किया $473 मिलियन का गेहूं, सबकी जरूरतों का रखा ध्यान

  • May 26, 2022


    नई दिल्ली। मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के हफ्तों बाद, केंद्र ने बुधवार को घोषणा की कि भारत ने मार्च में 177 मिलियन अमरीकी डालर और इस साल अप्रैल में 473 मिलियन अमरीकी डालर का गेहूं निर्यात किया। सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि 2022-23 के लिए भारत में गेहूं का अनुमानित उत्पादन लगभग 105 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) है और इसे अपनी 130 करोड़ आबादी की जरूरतों के लिए 30 मिलियन मीट्रिक टन की जरूरत है।

    भारत को लगभग 80 करोड़ गरीब और कमजोर आबादी के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMJKY), और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसी खाद्य सुरक्षा योजनाओं के लिए 30 एमएमटी की आवश्यकता है। इसके अलावा भारत अपने पड़ोसी देशों और अन्य कमजोर देशों को मानवीय सहायता भी प्रदान करता है।

    सरकार ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई के तहत 42.7 एमएमटी गेहूं का वितरण किया गया है। सरकारी डेटा के मुताबिक, “गेहूं निर्यातक देशों में, भारत 2020 में 19वें, 2019 में 35वें, 2018 में 36वें, 2017 में 36वें स्थान पर, 2016 में 37वें स्थान पर रहा, जो दर्शाता है कि भारत की हिस्सेदारी (0.47 प्रतिशत) बेहद कम है। जबकि सात देशों (रूस, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना) का पिछले पांच वर्षों में गेहूं निर्यात की कुल मात्रा में सबसे बड़ा हिस्सा रहा है।”


    इसमें आगे लिखा गया है, “फिर भी, 24 फरवरी, 2022 को रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, भारत ने अत्यधिक गर्मी के परिणामस्वरूप कम गेहूं उत्पादन की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद मार्च 2022 और अप्रैल 2022 में क्रमशः 177 मिलियन अमरीकी डालर और 473 मिलियन अमरीकी डालर के गेहूं का निर्यात किया है। गर्मी की लहर जिसने देश के उत्तरी भाग को खासा प्रभावित किया, इसके कारण अनाज सिकुड़ गया और प्रति एकड़ उपज में गिरावट आई है।”

    सरकार की गेहूं खरीद विपणन वर्ष 2022-23 में पिछले वित्तवर्ष की तुलना में अब तक 53 प्रतिशत घटकर 182 लाख टन रह गई है। इसका मुख्य कारण निर्यात के लिए निजी कारोबारियों द्वारा गेहूं की आक्रामक खरीदारी करना है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। रबी विपणन वर्ष अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन अधिकांश खरीद जून तक समाप्त हो जाती है। पिछले विपणन वर्ष में अबतक की सर्वाधिक 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी।

    सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य की खरीद एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर इस अनाज की खरीद करती हैं। गेहूं उत्पादन में गिरावट और निर्यात में वृद्धि के कारण मौजूदा वर्ष के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य को संशोधित कर 195 लाख टन कर दिया गया है, जो पहले 444 लाख टन था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरकारी एजेंसियों द्वारा गेहूं की खरीद कम रही।

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