नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में कहा कि रूस और यूक्रेन (Indians in Ukraine) दोनों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद, पूर्वी यूक्रेन के शहर सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए सुरक्षित कॉरिडोर नहीं बन पाया है और वह इसे लेकर ‘बेहद चिंतित’ है. संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थानीय प्रतिनिधि एवं राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में कहा, ‘भारत हर प्रकार की शत्रुता को समाप्त करने का लगातार आह्वान करता रहा है.’
उन्होंने कहा कि भारत ने सभी निर्दोष नागरिकों, भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए सुरक्षित तथा निर्बाध मार्ग की मांग की है. तिरुमूर्ति ने कहा, ‘हम बेहद चिंतित हैं कि दोनों पक्षों से हमारे आग्रह के बावजूद, सूमी में फंसे हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित गलियारा नहीं बन पाया.’ उन्होंने कहा कि भारत अभी तक युद्धग्रस्त यूक्रेन से अपने 20,000 से अधिक नागरिकों की सुरक्षित वापसी कराने में कामयाब रहा है.
दूसरे देश के नागरिकों की मदद की
तिरुमूर्ति ने कहा, ‘हमने अन्य देशों के उन लोगों की भी उनके देश पहुंचने में मदद की, जिन्होंने इस संबंध में हमसे सम्पर्क किया था.’ भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा, यह महत्वपूर्ण है कि कोई भी मानवीय कार्रवाई हमेशा तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हो. इस दौरान तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत पहले ही यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों को मानवीय सहायता भेज चुका है. इनमें दवाएं, टेंट, पानी के भंडारण टैंक, अन्य राहत सामग्री शामिल हैं. हम अन्य आवश्यकताओं की पहचान करने और उन्हें भेजने की प्रक्रिया में हैं.
15 लाख लोगों ने छोड़ा देश
तिरुमूर्ति ने कहा, यूक्रेन में बिगड़ती स्थिति और आगामी मानवीय संकट पर हमें तत्काल ध्यान देना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार पिछले 11 दिनों में 15 लाख शरणार्थियों ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों में शरण मांगी है. हमने भारतीयों सहित सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग की अपनी अति-आवश्यक मांग को दोहराया है. हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि दोनों पक्षों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद सुमी में हमारे छात्रों के लिए एक सुरक्षित मार्ग नहीं बन पाया.
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