इंदौर। नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा आउटर रिंग रोड का निर्माण किया जा रहा है, जिसके चलते जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। दूसरी तरफ किसानों द्वारा लगातार इसका विरोध किया जा रहा है। इंदौर और धार जिले की लगभग डेढ़ हजार एकड़ से अधिक जमीनें अधिग्रहित की जाएंगी और 600 करोड़ रुपए तक का मुआवजा बंटेगा। किसानों की मांग इस मुआवजा राशि को लेकर ही है। उनका कहना है कि 2 से 4 गुना तक मुआवजा दिया जाना चाहिए। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने अभी 34 किलोमीटर और उसके बाद 30 किलोमीटर के दूसरे हिस्से के लिए दो पैकेज में टेंडर बुलाए हैं। 34 किलोमीटर वाले पहले पैकेज के टेंडर की कीमत लगभग 1535 करोड़ रुपए है। वहीं दूसरे पैकेज की कीमत 1300 करोड़ रुपए तक आंकी गई है। इंदौर और धार जिला प्रशासन ने निजी जमीनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया गजट नोटिफिकेशन के साथ शुरू कर दी है।
प्रोजेक्ट कॉस्ट में ही लगभग 600 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान एनएचआई ने जमीन अधिग्रहण के बदले बांटे जाने वाले नकद मुआवजे के लिए कर रखी है। औसतन 1.05 करोड़ रुपए प्रति हेक्टेयर की दर निजी जमीनों के लिए तय है। लगभग डेढ़ हजार एकड़ निजी जमीनों का अधिग्रह किया जाएगा। साथ ही इसके अलावा 80 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन भी है। पिछले दिनों केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जो साढ़े 3 हजार करोड़ के नए प्रोजेक्टों को मंजूरी दी थी उसमें इंदौर के इस पश्चिमी बायपास के 34 किलोमीटर का हिस्सा भी शामिल रहा, जिसमें पैकेज-1 के तहत 1535 करोड़ रुपए मंजूर किए गए, जिसमें एक दर्जन फ्लायओवरों का निर्माण भी होगा और अभी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के बाद काम की गति भी बढ़ेगी। पश्चिमी बायपास के अलावा पूर्वी क्षेत्र में भी नई रिंग रोड की कवायद एनएचआई ने कुछ समय पूर्व शुरू की थी, जिसमें लगभग 71 किलोमीटर की लम्बाई में ये नई रिंग रोड बनना है, जिसके लिए भी 640 हेक्टेयर जमीन की जरूरत बताई गई है। यह पूर्वी रिंग रोड भी पश्चिमी रिंग रोड की तरह क्षिप्रा से पीथमपुर के पास स्थित नेशनल ऑटो टेस्टिंग ट्रैक के पास से बनाई जाना है।
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