नई दिल्ली (New Delhi)। मालदीव सरकार (maldives government) ने कहा है कि भारत सरकार ने उसे 50 मिलियन डॉलर यानी 417.56 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता की है। मालदीव को भारत ने ऐसे वक्त पर ये आर्थिक मदद की है, जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund) ने इस द्वीपीय देश को चीनी उधार और “ऋण संकट” के प्रति आगाह किया है। बड़ी बात ये है कि मालदीव के बदले रुख के बावजूद भारत ने उसे मदद की है।
सोमवार (13 मई) को मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात और भारत सरकार द्वारा 50 मिलियन अमरीकी डॉलर की मदद के लिए उनका धन्यवाद दिया है।
अपने ट्वीट में मालदीव के विदेश मंत्री ने भारत सरकार के बदले रुख और मालदीव पर उसकी मेहरबानी की तारीफ करते हुए लिखा है, “यह सद्भावना का एक सच्चा संकेत है जो #मालदीव और #भारत के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती का प्रतीक है।”
इधर विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने ट्रेजरी बिल को वापस लेने का निर्णय इस साल की शुरुआत में भारत की अपनी आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा के दौरान ज़मीर के अनुरोध के बाद लिया है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने भी भारत द्वारा मिली बजटीय सहायता पर आभार जताया गया है।
तीन दिन पहले ही चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू द्वारा 10 मई तक मालदीव में तीन विमानन प्लेटफॉर्म का संचालन करने वाले सभी भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस भेजने पर जोर देने के बाद दोनों देशों के संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया। भारत पहले ही 76 सैन्य कर्मियों को वापस बुला चुका है। मीडिया की एक खबर में कहा गया है कि हालांकि, मालदीव सरकार का सेनहिया सैन्य अस्पताल में तैनात भारत के डॉक्टरों को हटाने का कोई इरादा नहीं है। इसके बावजूद भारत ने मालदीव की मदद की है। इससे पहले मालदीव पर्यटकों को भेजने की भी गुहार लगा चुका है।
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