इंदौर। जिला पंजीयक-2 का एक और कारनामा संभागायुक्त की जांच में उजागर हुआ, जिसमें धारा 72 के तहत दो अलग-अलग आदेश पारित करते हुए सिविल न्यायालय की डिक्री को दरकिनार करते हुए 11 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करवा दी और इससे शासन को 1.35 करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी की चपत भी लगवाई। इस पूरे मामले की मय प्रमाण शिकायत पिछले दिनों संभागायुक्त को मिली और उन्होंने इसकी जांच उप महानिरीक्षक पंजीयन क्षेत्र इंदौर को सौंपी। अभी दो दिन पहले ही उपमहानिरीक्षक इंदौर के पद पर पदस्थ रहे बालकृष्ण मोरे का अचानक तबादला कर दिया गया, जिसके पीछे इस तरह के घोटालों की जांच को रूकवाना बताया जा रहा है। दरअसल, मोरे के कार्यकाल में इंदौर पंजीयन विभाग ने जहां बीते कई वर्षों में कई गुना अधिक राजस्व हासिल किया, वहीं उनकी साफ-सुथरी छवि के चलते जिला पंजीयकों पर भी लगाम कसी गई। मगर कुछ दिनों पहले जिला पंजीयक अमरेश नायडू के खिलाफ संभागायुक्त दीपक सिंह को एक गंभीर शिकायत मिली, जिसमें कोर्ट डिक्री को नजरअंदाज करते हुए रजिस्ट्री करवाने का मामला सामने आया, जिसमें 1.35 करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी का भी नुकसान हुआ।
संभागायुक्त कार्यालय में पदस्थ उपायुक्त राजस्व सपना एम. लोवंशी ने 12 दिसम्बर को ही उपमहानिरीक्षक पंजीयन को इस पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिए थे, जिसमें कहा गया कि धारा 72 के तहत 06.11.2023 और 05.02.2024 को जिला पंजीयक-2 इंदौर अमरेश नायडू द्वारा आदेश पारित करते हुए कोर्ट डिक्री को नजरअंदाज कर आर्थिक अनियमितताएं की गई और समुदाय विशेष को संगनमत होकर अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दरअसल, यह मामला ग्राम मूंडलानायता की 04.451 हेक्टेयर यानी लगभग 11 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिसकी डिक्री के विपरित तिरुपति नेचुरल रिसोर्सेस एंड इन्फ्रा प्रा.लि. को बिकवा दी गई। जबकि इस जमीन के 12 मालिक हैं और उनमें से एक विक्रेता शरीफ पटेल पंजीयक कार्यालय में मौजूद ही नहीं रहे, जबकि पूर्व में उक्त रजिस्ट्री करने से जिला पंजीयक-2 द्वारा ही इनकार किया गया था और बाद में दूसरा आदेश पारित कर रजिस्ट्री ना सिर्फ करवाई, बल्कि सम्पदा में अपलोड नक्शे को वापस बुलवाकर जमीन के रकबे में कूटरचित तरीके से परिवर्तन करवा दिया।
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