नई दिल्ली (New Delhi)। बिखरे दिख रहे विपक्ष (Opposition)के बावजूद भाजपा(B J P) के लिए आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections)बड़ी चुनौती (challenge)है। इस चुनौती की वजह उसका अपना लक्ष्य है, जो उसने खुद तय किया है। उसने अपने लिए 370 सीटें और राजग के लिए चार सौ पार का आंकड़ा सामने रखा है। इसकी सबसे बड़ी बुनियाद वह राज्य हैं, जहां राजग ने बीते लोकसभा चुनाव में 90 फीसदी से ज्यादा सीटें जीती थीं। इनमें कुछ राज्यों में तो उसकी सफलता शत-प्रतिशत थी।
लोकसभा का रण शुरू हो चुका है। पहले चरण के 21 राज्यों के 102 उम्मीदवारों के नामांकन का काम भी पूरा हो गया है। सात चरणों के चुनाव के बाद चार जून को देश में नई सरकार का चेहरा सामने आएगा। बीते दस साल से सत्तारूढ़ भाजपा आत्मविश्वास से लबालब है, यही कारण है कि उसने जीत का अब तक का सबसे बड़ा लक्ष्य सामने रखा है। इसमें पार्टी दो बड़ी रणनीति पर काम कर रही है। पहली पिछली बार जीती सीटों को बरकरार रखना और हारी हुई लगभग 160 सीटों में से कम से कम आधी सीटें जीतना। हारी हुई सीटों पर पार्टी बीते डेढ़ साल से बड़े नेताओं के जरिए लगातार काम कर रही है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सभी सीटों पर जीत दर्ज की
भाजपा ने बीते लोकसभा चुनाव में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें गुजरात, राजस्थान (सहयोगी को मिलाकर), उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, त्रिपुरा, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, दमन दीव, चंडीगढ़ की 82 सीटें शामिल थीं। इनके अलावा भाजपा और राजग गठबंधन को जहां भारी सफलता मिली थी, उनमें मध्य प्रदेश में 29 में 28, बिहार में राजग ने 40 में 39, छत्तीसगढ़ में 11 में 9, उत्तर प्रदेश में भाजपा और अपना दल ने 80 में से 62, झारखंड में भाजपा ने 14 में 11, कर्नाटक में भाजपा ने 28 में 25 सीटें जीती थीं।
भाजपा के लिए सबड़े बड़ी चुनौती
भाजपा के लिए सबड़े बड़ी चुनौती यही राज्य हैं, जहां उसे सत्ता विरोधी माहौल की काट निकालकर फिर से अपनी सफलता दोहरानी है और जहां कुछ सीटें छूट गई थीं, उनको भी हासिल करना है। दरअसल, तब से अब तक राजनीतिक समीकरण काफी बदले हैं। विपक्ष का नया गठबंधन सामने आया है। दलों की अदला-बदली हुई है और नेता भी लगातार पाले बदल रहे हैं। भाजपा ने पंजाब में अपनी जड़े मजबूत करने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से कई नेताओं को जोड़ा है। हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने के साथ कांग्रेस और चौटाला परिवार में भी सेंध लगाई है। हिमाचल में सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में हराया है और बिहार में गठबंधन को मजबूत किया है।
महाराष्ट्र में ज्यादा लाभ की उम्मीद
महाराष्ट्र की राजनीति का तो रूप ही बदल गया है। वहां के नतीजे दलों से ज्यादा दिग्गजों की राजनीति पर असर डालेंगे। यहां भाजपा को ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद है। भाजपा ने इस बार हर राज्य के लिए अलग रणनीति बनाई है और सभी दलों और नेताओं के लिए अपने दरवाजे खोल रखे हैं। इससे न केवल पार्टी का विस्तार हो रहा है और उसका सामाजिक दखल भी बढ़ रहा है। आंध्र प्रदेश में उसने नया गठबंधन बनाया है। तमिलनाडु और केरल में नई रणनीति लागू की है। ओडिशा में बीजद से मिला जुला खेल रहेगा और पश्चिम बंगाल में बढ़त की उम्मीद है।
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