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    बिक्री पर प्रतिबंध फिर भी भारत में सप्‍लाई, सेना के लिए चुनौती बना चीनी वॉकी-टॉकी

  • July 08, 2024

    नई दिल्‍ली(New Delhi) । छत्तीसगढ़ और झारखंड हो या मणिपुर, जहां भी उग्रवादी सक्रिय(militant active) हैं वहां एक चीज जरूर पाई जाती है और वह है चीन (China)का वॉकी-टॉकी(Walkie-Talkie)। चीन के वॉकी टॉकी का इस्तेमाल म्यांमार(Use Myanmar) के सेना विरोधी संगठन भी करते हैं। वहीं भारत में नक्सली इलाकों में इसका जमकर इस्तेमाल किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक मणिपुर में भी एक साल में 100 से ज्यादा चीनी वॉकी टॉकी बरामद किए गए हैं। चीन की फुजियान बाओफेंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी इस वॉकी टॉकी को बनाती है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के पास से भी चीनी वॉकी टॉकी बरामद किए जाते हैं।

    यह वॉकी टॉकी सस्ता, टिकाऊ और आसान होता है। इसकी रेंज वैसे तो 5 किलोमीटर होती है लेकिन इसे 10 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। 22 जून को सुकमा के जंगलों में छत्तीसगढ़ पुलिस ने बड़ी संख्या में जाली नोट जब्त किए थे। इसके अलावा नोट छापने की मशीन और स्याही भी पाई गई थी। उसी दिन मणिपुर के काकचिंग इलाके से 37 हैंड ग्रेनेड बरामद किए गए। इनके साथ ही बाओफेंग वॉकी टॉकी के दो सेट भी पाए गए।


    मणिपुर में उग्रवादी और ग्राम रक्षक भी जंगलों में बात करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान बड़ी संख्या में बाओफेंग वॉकी टॉकी बरामद किए गए हैं। पिछले साल जून-जुलाई में सरकार ने इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से खुले तौर पर यह नहीं बेचा जाता है लेकिन आसपास के राज्यों से इसकी सप्लाई जारी है। मिजोरम, असम, नागालैंड और ऑनलाइन माध्यम से यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

    इसकी ऑनलाइन कीमत 1800 से लेकर 16000 रुपये तक है। भारत के सुरक्षाबलों ने म्यांमार से सप्लाई होने वाले भी कई सेट पकड़े हैं। 18 मई को असम राइफल्स की टीम ने म्यांमार विद्रोही ग्रुप के एक सदस्य को पकड़ा था। वह म्यांमार सीमा से 14 बाओफेंग सेट ला रहा था। मणिपुर में पोस्टेड एक अधिकारी ने कहा, हमारी जांच में पता चला है कि इस वॉकी टॉकी का इस्तेमाल पांच किलोमीटर की रेंज में किया जा सकता है। अगर पहाड़ी या फिर ज्यादा बाधा होती है तो इसकी रेंज कम भी हो जाती है। हालांकि लोगों ने इसकी रेंज बढ़ाने का भी तरीका निकाल लिया है।

    उन्होंने कहा, हमें पता चला कि ऐसी तीन डिवाइस को एक ही फ्रेक्वेंसी पर सेट किया गया है। ऐसे में इसकी रेंज 10 किमी तक बढ़ गई। उन्होंने का आर्मी की सिग्नल इंटेलिजेंस यूनिट इस फ्रेक्वेंसी पर बातें सुन सकती है लेकिन पुलिस फोर्स के पास जरूरी उपकरण नहीं हैं। मिजोरम पुलिस के मुताबिक 1 जनवरी से 30 मई तक 314 बाओफेंग सेट जब्त किए गए हैं। इसके अलावा 10 अन्य वॉकी टॉकी पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि जहां बिजली नहीं होती है वहां इस वॉकी टॉकी को सोलर पैनल से चार्ज कर लिया जाता है। कईजगहों से सोलर पैनल भी मिले हैं। नक्सली वॉकी टॉकी का धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं और इसलिए वे सोलर पैनल भी रखते हैं।

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