अयोध्या। श्रीरामलला का दर्शन (Darshan of Shri Ram Lalla) करने के लिए पंजाब से दौड़ (Running from Punjab) लगाते एक 6 वर्षीय बालक (A 6-year-old boy) मंगलवार को अयोध्या (reached Ayodhya) पहुंचा। एक महीने तेईस दिन में हजार किलोमीटर से अधिक दौड़ पूरी करने वाला यह बालक मंगलवार को भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह बल्ले (BJP leader Bhupendra Singh Balle) के अयोध्या फेमिली रेस्टोरेंट लखनऊ मार्ग पर पहुंचा है।
बताया जाता है कि मोहब्बत नाम वाले इस बच्चे की रास्ते भर खूब स्वागत व सराहना हुई। छह वर्षीय मोहब्बत ग्राम किलियांवाली पोस्ट अबोहर, तहसील हबोर जिला फाजिल्का, पंजाब का रहने वाला है। वहां बालाजी धाम से एक सैन्य अधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर मोहब्बत के दौड़ की शुरुआत कराई। पूरे रास्ते बालक के अभिभावक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय के सम्पर्क में रहे। यह भी पता चला है कि प्रतिष्ठा द्वादशी के दिन इस नन्हे धावक की मुख्यमंत्री से भेंट भी होनी है।
केवल दूध व गौमूत्र का सेवन करने वाले युवक ने दी दस्तक:
इस बीच देशी टार्जन के नाम से जाना जाने वाला एक युवक भी रामनगरी पहुंचा। यह युवक अनाज नहीं खाता, गोदुग्ध से पेट भरता है,साबुन की जगह नहाने में गोबर मलता है। गोमूत्र का सेवन करता है। सुबह शाम पांच-पांच हजार सपाट लगाता है। बताया जाता है कि गिनीज बुक समेत तेरह रिकॉर्ड उसके खाते में है। संजय सिंह पहलवान उपाख्य देसी टार्जन पलवल, हरियाणा के निवासी हैं । मंगलवार को वे ट्रेन से उतरकर अपने मित्र सुशील मिश्र के साथ रामनगर (धौरहरा) पहुंचे और सुबह के नियमित सपाट लगाए। गोमाता की वन्दना की और गोबर स्नान किया। इस मध्य गांव के सैकड़ों लोग गोदुग्ध, गोमूत्र की अद्भुत क्षमता का उदाहरण देखने इकह्वा हो गए। देसी टार्जन कामाख्या देवी मन्दिर तथा भरत कुंड पर दर्शन के बाद शाम राम लला का दर्शन करने पहुंचे। अभी कुछ समय यहीं बिताने के बाद देसी टार्जन बिहार की अपनी तय यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे। देर शाम दोनों प्रतिभाओं की मुलाकात भी तय है।
1110 किमी पैदल चलकर दर्शन को आए
राजस्थान में बीकानेर के डूंगरगढ़ से पांच लोग 1110 किलोमीटर की पदयात्रा करके श्रीराम लला का दर्शन करने अयोध्या पहुंचे हैं। इस टोली में शामिल श्याम सुंदर तिवारी, लालचंद, नौरंग लाल प्रजापति, नरेश और प्रदीप माली शामिल हैं। ये सभी सालासर बालाजी, खाटूश्याम, मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन पूजन करते हुए यहां आए हैं। प्रतिदिन औसतन 50 किलोमीटर चलकर यह यात्रा लगभग पन्द्रह दिन में पूरी हुई है।
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