इंदौर, राजेश ज्वेल। धोखाधड़ी के मामले में ढाई साल पहले पलासिया थाने पर जो एफआईआर संघ के एक पूर्व पदाधिकारी राकेश दुबे के खिलाफ दर्ज की गई थी उसमें अब चुनावी आचार संहिता के चलते पुलिस ने फरार आरोपी को गिरफ्तार किया। रात डेढ़ बजे यह गिरफ्तारी दिखाई गई। हालांकि उस वक्त भी संघ और भाजपा के कई नेताओं ने दबाव-प्रभाव भी बनाया, तो दूसरी तरफ पुलिस पर आरोप है कि उसने कूटरचित दस्तावेजों को तैयार करने से संबंधित धाराएं हटा दी। बावजूद इसके कोर्ट ने कल जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके चलते आरोपी को जेल जाना पड़ा। इस मामले में डेढ़ करोड़ रुपए की कम्पनी की राशि निजी खाते में जमा कराने और डायरेक्टरों को जान से मारने की धमकी देने सहित कई आरोपी लगाए गए हैं। हालांकि शिकायत करने वाले कुछ कम्पनी डायरेक्टरों का इस मामले में समझौता भी हो गया और एक अन्य मामले में इस तरह की जाहिर सूचना का प्रकाशन भी करवाया गया है।
अग्रिबाण ने दो साल पहले करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाले फरार आरोपी ने करवा डाली फर्जी एफआईआर शीर्षक से विस्तृत समाचार का प्रकाशन किया था, जिसमें संघ के ही दो पूर्व पदाधिकारियों ने एक-दूसरे के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायतें की। इसमें एक पहले महापौर और उसके बाद विधानसभा की टिकट की दौड़ में शामिल रहे भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष नानूराम कुमावत भी शामिल थे, जिसमें राकेश दुबे के खिलाफ उन्होंने करोड़ों की धोखाधड़ी की शिकायत की थी। हालांकि बाद में इस मामले में समझौता हो गया। दूसरी तरफ पलासिया थाने पर मेरू इन्फ्रा प्रोजेक्ट डवलपर्स की ओर से सुनय जैन द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसमें तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक झोन क्र. 3 शशिकांत कनकने ने अपना जांच प्रतिवेदन दिया, जिसमें यह बताया गया कि आरोपी राकेश दुबे ने मेरू इन्फ्रा से अपना हिस्सा लेकर सभी अधिकार समाप्त करते हुए कम्पनी से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद फिर 5 खाली चेक का इस्तेमाल करते हुए अपने खुद के निजी खाते में डेढ़ करोड़ रुपए कम्पनी के हस्तांतरित करवा लिए। कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से दुबे ने साकेत नगर स्थित आईसीआईसीआई बैंक के अपने खाते में तीन चेकों के जरिए 50-50 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर करवा ली, जिसमें बैंक अधिकारियों ने भी सांठगांठ की। इतना ही नहीं, बाद में दुबे ने कम्पनी डायरेक्टरों को जान से मारने की धमकियां तक दी। हालांकि अब सुनय जैन का कहना है कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और समझौता हो चुका है। जबकि दूसरे डायरेक्टर महावीर जैन द्वारा अभी भी शिकायत की जा रही है, जिसके चलते थाना पलासिया ने परसों रात डेढ़ बजे राकेश दुबे को गिरफ्तार कर कल कोर्ट में प्रस्तुत किया, जहां से जमानत निरस्त करते हुए उसे जेल भेज दिया गया। दुबे संघ के पूर्व इंदौर विभाग कार्यवाह के पद पर रह चुके हैं, जिन्हें इन्हीं सबके चलते हटाया गया था।
हाईराइज प्रोजेक्ट के साथ कावेरीकुंज का भी विवाद
अभिभाषक अक्षय मंत्री का कहना है कि पलासिया थाने ने राकेश दुबे की गिरफ्तारी अवश्य की, मगर गंभीर अपराध की धाराएं दबाव-प्रभाव के चलते हटा दी। जबकि एक पुराने हाईराइज प्रोजेक्ट के साथ बेगमखेड़ी के प्रोजेक्ट कावेरी कुंज में भी दुबे द्वारा धोखाधड़ी की गई है। दूसरी तरफ आज ही सुनय जैन और नवीन जैन ने जाहिर सूचना के जरिए राकेश दुबे को निर्दोश बताते हुए महावीर जैन पर आरोप लगाया कि वे कावेरी कुंज के भूखंड खुद के बताते हुए बेच रहे हैं और अब मेरू इन्फ्रा प्रोजेक्ट के नाम से कोई लेन-देन महावीर जैन से ना किया जाए।
संघ और भाजपा नेताओं का दोनों तरफ से बना रहा दबाव
कुछ समय पूर्व जब संघ के ही पूर्व पदाधिकारी रहे नानुराम कुमावत का राकेश दुबे से रियल इस्टेट प्रोजेक्ट के चलते ही लेन-देन को लेकर विवाद हुआ, तब संघ और भाजपा के नेताओं ने दोनों तरफ से दबाव बनाए। कुछ कुमावत के साथ, तो कुछ राकेश दुबे के साथ रहे। चूंकि दुबे भी संघ के इंदौर विभाग कार्यवाह रहे हैं, लिहाजा उनके पक्ष में भी संघ और भाजपा के नेताओं ने पुलिस पर दबाव बनाया और अभी गिरफ्तारी के वक्त भी यही प्रक्रिया चलती रही। मगर चूंकि पुलिसिया जांच में केस पुख्ता था, इसलिए मजबूरी में अभी गिरफ्तारी करना पड़ी।
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