भोपाल। विधानसभा (Vidhan Sabha) का मानसून सत्र 9 अगस्त से शुरू हो रहा है। 4 दिवसीय सत्र में विधायक अपने क्षेत्र और विभागों से संबंधित सवाल लगा रहे हैं। लेकिन विडंबना यह है कि विभागों की माननीयों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने में रूचि नहीं रही है। इस कारण विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों का अंबार लगा हुआ है। विधायकों द्वारा सदन में पूछे गए 565 सवालों के जवाब विभागों के अफसरों ने अभी तक नहीं दिए है। सबसे ज्यादा लेटलतीफ कृषि विभाग है। यहां के 106 सवालों के जवाब अभी तक नहीं आए है और कृषि मंत्री के 73 आश्वासन भी पूरे नहीं हो पाए है। वहीं सदन के भीतर विधायकों के सवालों पर जवाब देते हुए मंत्रियों ने 572 आश्वासन दिए लेकिन विभागों के अफसरों ने इन आश्वासनों को पूरा करने में रुचि नहीं दिखाई। अब तक मंत्रियों के ये आश्वासन पूरे नहीं हो पाए है।
आमतौर पर सदन के भीतर ध्यानाकर्षण सूचना, शून्यकाल और प्रश्नकाल के दौरान विधायक अपने क्षेत्र और समूचे प्रदेश से जुड़ी समस्याओं को सदन में उठाते है। सवाल-जवाब के दौरान मंत्री इस पर जवाब देते है। कई बार मामले ऐसे फंस जाते है कि मंत्रियों को सदन के भीतर उन समस्याओं का निराकरण करने, अनियमितता पर कार्यवाही करने, सुविधाएं शुरू करने को लेकर आश्वासन देना पड़ता है। मंत्रियों के द्वारा सदन के भीतर दिए गए ये आश्वासन कई बार व्यवहारिक रूप में पूरे होना मुश्किल होते है। कई बार विभागीय अफसर इन्हें पूरा करने में रुचि नहीं लेते। कई बार मैदानी अफसर इन्हें समय पर पूरा करने में रुचि नहीं लेते। कई बार वित्तीय संकट की स्थिति के चलते आश्वासन पूरे नहीं हो पाते। कई मामलों में तो आश्वासन का स्वरूप इतना विस्तृत होता है कि उसे पूरा करने में काफी समय और धन खर्च होता है जिसके कारण ये आश्वासन पूरे नहीं हो पाते। लेकिन अधिकांश मामलों में यह देखने में आता है कि अफसर और सरकारी अमला मंत्रियों के आश्वासन को समय पर पूरा करने में अपनी रुचि नहीं दिखाता,पूरी उर्जा के साथ काम नहीं करता इसके चलते मंत्रियों के आश्वासन अधूरे बने रहते है।
42 विभागों में मंत्रियों के आश्वासन अधूरे
कृषि मंत्री द्वारा सदन के भीतर दिए गए 73 आश्वासन पूरे नहीं हो पाए है तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 68 और राजस्व विभाग के 62 आश्वासन पूरे नहीं हो पाए है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री के भी 54 आश्वासन पूरे नहीं हो पाए है। कुल 42 विभागों के 572 आश्वासन अभी भी अधूरे है। सामान्य प्रशासन, लोक निर्माण, आदिम जाति कल्याण,स्कूल शिक्षा,सहकारिता, वाणिज्य कर,स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास सहित कई विभागों में मंत्रियों के आश्वासन भी अधूरे है।
समय पर सवालों के जवाब ही नहीं देते विभाग
प्रदेश के 37 विभागों के अफसर काफी लेटलतीफ है। यहां के 565 सवालों के जवाब अफसरों ने अब तक विधानसभा सचिवालय को नहीं दिए है। समय पर जवाब नहीं आने के कारण सदन के भीतर सरकार की किरकिरी होती है। जवाब देने में सबसे अधिक सुस्ती कृषि विभाग की ही सामने आई है। यहां 108 सवालों के जवाब अब तक नहीं दिए है। खाद्य विभाग के 83 सवालों के जवाब नहीं आए है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 38सवालों के जवाब नहीं दिए है। सामान्य प्रशासन विभाग ने 78 और गृह विभाग ने 57 सवालों के जवाब नहीं दिए है। लोक लेखा समिति के 149 सिफारिशों पर अमल नहीं लोक लेखा समिति की 149 सिफारिशों पर विभागों ने कोई कार्यवाही नहीं की है। शून्यकाल की 65 सूचनाओं पर कोई जवाब विभागों ने नहीं दिया है।
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