भोपाल। लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू के छापों में पकड़े जा चुके भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ विभागों द्वारा अभियोजन की स्वीकृति समय पर नहीं दी जाती है। इसकी वजह मूल विभाग एवं विधि व विधायी विभाग के बीच चल रहे मतभेद को भी माना जा रहा है। दोनों विभागों के बीच मतभेद खत्म करने के लिए आज मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति की बैठक होने जा रही है। जिसमें यह तय किया जाएगा कि अभियोजन की मंजूरी समय पर दी जाए। पिछले महीने राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में नया आदेश जारी किया था कि विभागों से बिना पूछे कोई भी एजेंसी किसी भी शासकीय सेवक से पूछताछ नहीं कर पाएंगी और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाएंगे। सरकार के इस फैसले को भ्रष्टों का सुरक्षा कवच बताया जा रहा है।
लेकिन अब सरकार ऐसे शासकीय सेवक जिनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन अभियोजन की स्वीकृति विभागों द्वारा नहीं दी जा रही है। ऐसे प्रकरणों को अलग-अलग कारणों की वजह से लंबित रखा गया है। अब उन्हें जल्द निपटाना पड़ेगा। विभागों को समय-सीमा के भीतर अभियोजन की स्वीकृति देनी होगी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि भ्रष्टाचार के प्ररकणों में अभियोजन की मंजूरी देने को लेकर संबंधित विभाग एवं विधि विभाग में मतभेद रहता है। पिछली बैठक में मुख्यमंत्री के सामने यह तथ्य सामने आया था। संभवत: आज मुख्यमंत्री इसका निराकरण कर सकते हैं। जिसके बाद कोई भी विभाग किसी भी भ्रष्ट के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने में अड़ंगा नहीं लगा पाएंगे।
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