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    डेनमार्क ने शरिया के खिलाफ छेड़ी ‘जंग’

  • October 09, 2020


    कोपनहेगन। डेनमार्क ने देश में बढ़ते इस्लामीकरण के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। शरिया का प्रचार-प्रसार करने वाले इमामों के खिलाफ भी कार्रवाई को तेज कर दिया गया है। वहीं देश में इस्लामी गतिविधियों को बढ़ाने में ईरानी दूतावास का कनेक्शन सामने आने पर डेनमार्क के विदेश मंत्रालय ने राजदूत को तलब किया है। डेनमार्क के विदेश मंत्री जेप्पे कोफोड ने डेनिश कानून में ईरानी हस्तक्षेप को अस्वीकार्य बताया है।

    ईरानी राजदूत को किया तलब
    उन्होंने कहा कि हमें शरिया तलाक के अनुबंधों में ईरानी दूतावास की भूमिका की जानकारी मिली है। इसी को लेकर हमने ईरानी राजदूत अफसानेह नादिपोर को तलब किया है। हम इस मुद्दे पर उनके स्पष्टीकरण की मांग करेंगे। ईरान के कथित संलिप्तता को लेकर डेनमार्क में राजनीति भी तेज हो गई है। वहां की विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर प्रधान मंत्री मेटे फ्रेडरिक्सेन की कड़ी निंदा की है।

    सरकार ने कहा- विदेशी दखल स्वीकार नहीं
    विदेश मंत्री जेप्पे कोफोड ने कहा कि हम किसी भी आकार या रूप में ऊरानी दूतावास को डेनमार्क के कानून या हमारे बुनियादी लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ जाने वाले मामलों में शामिल होने की बात स्वीकार नहीं करेंगे। हमने ईरानी राजदूत अफसानेह नादिपोर को धार्मिक प्रतिबंधों के मामलों में ईरानी दूतावास की भागीदारी को लेकर सफाई मांगी है।

    मुस्लिम महिलाओं को भड़का रहा ईरान!
    डेनमार्क में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं को शरिया कानून के अनुसार दिए गए तलाक के अनुबंधों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की खबरें रिपोर्ट हो रही हैं। इनमें कहा गया है कि ईरानी दूतावास यहां रहने वाली मुस्लिम महिलाओं से कह रहा है कि वह डेनमार्क सरकार के तलाक के कागजात को धार्मिक रूप से मान्यता दिलाने के लिए दबाव डालें।

    कड़ी सजा दिलाने के लिए बनेगा नया कानून
    डेनमार्क में इसमें शामिल इमामों के खिलाफ कड़ी सजा के प्रावधानों को शामिल करने के लिए नया कानून भी लाया जा रहा है। आव्रजन मंत्री मैटियास टेस्फेय ने कहा कि जब हम इमामों को इस तरह के नकारात्मक तरीके से तलाक के मामलों में शामिल होते हुए देखते हैं, तो हमें इसे और अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि कानून में बदलाव से ऐसा करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि हम इमामों को तलाक में मध्यस्थता के लिए एक सुरक्षित रास्ता नहीं दे सकते हैं।

    लगभग सभी पार्टियों ने नए बिल का किया समर्थन
    डेनमार्क की वामपंथी रेड-ग्रीन गठबंधन और उदारवादी-रूढ़िवादी वेनस्ट्रे सहित कई पार्टियां नए बिल का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। वहीं, जातीय अल्पसंख्यक परिषद ने इस बिल का विरोध करने का ऐलान किया है। इस परिषद की प्रवक्ता हलीमा अल अबसी ने कहा कि सरकार को केवल उन लोगों को सजा देनी चाहिए जो इसमें शामिल हैं।

     

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