नई दिल्ली । हर साल नॉर्डिक क्षेत्र (Nordic Region) में 13,600 लोगों की मौत कैंसर (cancer) से हो जाती है. और इसके पीछे धूम्रपान (smoking) सबसे बड़ी वजह है. यहां आपको बता दें कि नॉर्डिक क्षेत्र के अंतर्गत डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड और आइसलैंड के साथ-साथ फरो आइलैंड्स, ग्रीनलैंड और ऑलैंड शामिल हैं. क्षेत्र में कैंसर की बढ़ती भयाभवता को देखते हुए डेनमार्क ने 15 मार्च को भावी पीढ़ियों को धूम्रपान करने की अनुमति नहीं देने की योजना की घोषणा की है. डेनमार्क सरकार साल 2010 के बाद पैदा हुए सभी लोगों को निकोटीन उत्पादों (nicotine products) की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रही है.
डेनमार्क के स्वास्थ्य मंत्री स्वास्थ्य मंत्री मैग्नस हेनिके ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया, “हमारा लक्ष्य 2010 में पैदा हुए सभी लोगों के लिए है और धूम्रपान बंद करना या निकोटीन-आधारित उत्पादों का उपयोग को कम करना है.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “हम आवश्यक होने पर आयु सीमा को धीरे-धीरे बढ़ाकर इस पीढ़ी को बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं.”
15-19 साल के युवा करते हैं धूम्रपान
डेनमार्क में वर्तमान नियम के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के सिगरेट खरीदने या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पीने पर प्रतिबंध है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि डेनमार्क में 15 से 29 वर्ष की आयु के 31% लोग धूम्रपान कर रहे हैं.
डेनिश एसोसिएशन टू कॉम्बैट कैंसर द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 64% उत्तरदाताओं ने इस योजना के लिए मतदान किया. इससे पता चलता है कि लोग सरकार के पक्ष में हैं और जल्द ही इस पर कानून बना दिया जाएगा.
प्रतिबंध लगाने के मामले में कीवी हैं आगे
गौरतलब है कि स्कैंडिनेवियाई देशों में तंबाकू कैंसर का प्रमुख कारण है, जिसमें 5.8 मिलियन लोगों की आबादी हर साल 13,600 लोगों की मौत होती है. धूम्रपान के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी न्यूजीलैंड ने दिसंबर में 2027 से सिगरेट खरीदी जा सकने वाली उम्र को बढ़ाकर तंबाकू की बिक्री पर धीरे-धीरे प्रतिबंध लगाने की एक समान योजना की घोषणा की है.
भारत में हर साल 10 लाख लोगों की होती है मौत
भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की जान जाती है. इस आंकड़ें में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है. जहां देशों में तम्बाकू पीने के कारण 1990 में 6 लाख लोगों की जान गई थी, वो संख्या 2019 में बढ़कर 10 लाख पर पहुंच गई है. यह जानकारी मई 2021 में अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में छपे एक अध्ययन में सामने आई थी.
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