भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में डेंगू का प्रकोप जारी है और मलेरिया विभाग शहर में डेंगू के खतरे को मानने को तैयार ही नहीं है। राजधानी में 15 साल के बच्चे की कथित तौर पर डेंगू से मौत हुई है। जानकारी के अनुसार कोलार में रहने वाले 15 साल के बच्चे को डॉक्टर ने डेंगू बताया था। परिजनों ने स्थानीय स्तर पर इलाज कराया लेकिन आराम नहीं मिला। चार दिन पहले अचानक बच्चे के बेहोश होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वेंटिलेटर पर शिफ्ट होने के बाद बच्चे के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। शुक्रवार देर रात शॉक सिंड्रोम में आकर दम तोड़ दिया। जानकारी के अनुसार राजधानी में डेंगू के केस फिलहाल 700 के पार हो चुके हैं।
विभाग असहाय …लेटर ने खोली पोल
मलेरिया विभाग यह दावा करता है कि डेंगू, मलेरिया का सीजन शुरू होने के पहले ही शहर के सरकारी, निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स के संचालकों, डॉक्टरों की कार्यशाला आयोजित की जाती है। इस वर्कशॉप में निजी, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को यह साफ बताया जाता है कि डेंगू की जांच के लिए रैपिड कार्ड से टेस्ट को भारत शासन से मान्यता नहीं है। डेंगू की जांच के लिए एलाइजा टेस्ट कराना जरूरी है। इसके बावजूद शहर के निजी अस्पताल मरीजों की रैपिड कार्ड से डेंगू की जांच करके इलाज कर रहे हैं। मलेरिया विभाग और स्वास्थ्य महकमा निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने में असहाय नजर आ रहा है।
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