भोपाल। कोरोना संकट के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 21 से 23 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। संवैधानिक बाध्यता के तहत बुलाए जा रहे इस सत्र की खास बात यह है कि इसमें केवल शासकीय कार्य होगा। सत्र में सवाल-जवाब तो होंगे लेकिन गर्भगृह में जाकर धरना प्रदर्शन या नारेबाजी करने पर रोक रहेगी। तीन दिवसीय सत्र के लिए भी कोरोना संबंधी विशेष गाइडलाइन बनाई जाएगी। सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाकर सारी बातों को तय किया जाएगा। गौरतलब है कि छह माह के भीतर विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है। बीते 25 मार्च के बाद 25 सितंबर को विधानसभा सत्र के छह महीने का समय पूरा हो रहा था। 15वीं विधानसभा का यह सातवां सत्र है। राज्यपाल के अनुमोदन के बाद विधानसभा सचिवालय द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि तीन दिवसीय सत्र में सदन की कुल तीन बैठकें होंगी। इसमें शासकीय विधि विषयक एवं वित्तीय कार्य के साथ अध्यक्ष का निर्वाचन होगा।
सवाल पूछने का मिलेगा मौका
बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत छह मंत्री और 15 विधायक अब तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इसलिए माना जा रहा था कि विधानसभा सत्र केवल संवैधानिक औपचारिकता पूरी करने के लिए बुलाया जाएगा। राज्यसभा चुनाव में मतदान के दौरान भी कुछ विधायक बिना मास्क लगाकर आए थे और दूसरे दिन उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। हालांकि ताजा फैसले में विधायकों को सवाल पूछने का वक्त दिया जा रहा है। प्रमुख सचिव एपी सिंह ने इसकी पुष्टि की। यह भी बताया गया है कि सत्र के दौरान अशासकीय संकल्प से लेकर ध्यानाकर्षण सूचना से लेकर स्थगन सूचना भी विधायक दे सकेंगे।
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