नई दिल्ली । अडानी मुद्दे पर (On Adani Issue) कांग्रेस (Congress) संसद से लेकर सड़क तक (From Parliament to Road) लड़ती नजर आई (Seen Fighting) । पार्टी ने देश भर में (Party Across the Country) एलआईसी और एसबीआई दफ्तरों के बाहर (Outside LIC and SBI Offices) प्रदर्शन किया (Demonstrated) । लगातार तीसरे दिन सोमवार (छह फरवरी, 2023) को संसद के दोनों सदनों का काम ठप्प रहा। विपक्ष जेपीसी की मांग और सदन में चर्चा की मांग पर अड़ा रहा, जबकि सत्ता पक्ष पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा चाहता है। नतीजतन पूरे विपक्ष ने सदन के अंदर तो हंगामा किया ही, साथ ही संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने भी सामूहिक प्रदर्शन किया।
अडानी विवाद को लेकर कांग्रेस पूरे देशभर में एसबीआई और एलआईसी ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही है।महाराष्ट्र ,जम्मू कश्मीर और तेलंगाना समेत देश के अन्य राज्यों में एसबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।तमिलनाडु के चेन्नई में भी कांग्रेस ने एलआईसी कार्यालय के बाहर (अडानी स्टॉक क्रैश) मुद्दे पर प्रदर्शन किया। वही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के द्वारा हंगामे और नारेबाजी के कारण लोक सभा और राज्य सभा की कार्यवाही को दोपहर बाद 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
दरअसल, अडानी के मसले पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए गले की फांस बनती दिखी।
बजट सत्र का एक हफ्ता बीत गया, लेकिन अभी तक बजट पेश होने के सिवा कुछ नहीं हो सका है। संपूर्ण विपक्ष अडानी के मुद्दे पर सरकार को चौतरफा घेरे है। सोमवार को भी जैसे ही सदन की कार्रवाई शुरू हुई दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा हुआ, जिसके बाद सदन स्थगित करना पड़ा। इससे पहले, सुबह नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कमरे में सामूहिक रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों के फ्लोर मैनेजर की बैठक हुई। इसके बाद पूरे विपक्ष ने गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया।
विपक्ष की मांग है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सदन का सारा काम रोक कर अडानी मुद्दे पर चर्चा हो। प्रधानमंत्री उसका जवाब दें और जेपीसी का गठन हो। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि क्या वजह है कि सभापति विपक्ष के हर नोटिस को रोज अस्वीकार कर देता है? ये निराशजनक है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार चर्चा से भाग रही है, जबकि विपक्ष सदन में सकारात्मक चर्चा चाहता है।
चूंकि, कांग्रेस पार्टी अडानी के मुद्दे को देशव्यापी बनाने के लिए दोहरी रणनीति पर काम कर रही है। एक और जहां वह संसद के अंदर समान विचारधारा वाली विपक्षी दलों के साथ सरकार को संसद में गिरने का काम कर रही है। वहीं, दूसरी ओर देश भर में एलआईसी और एसबीआई के दफ्तर के बाहर धरना और प्रदर्शन कर अडानी के मुद्दे को और व्यापक बनाने का प्रयास करती दिखी। पार्टी का मानना है कि ऐसा कोई घर नहीं, जिसने एलआईसी में निवेश न किया हो। ऐसे में पार्टी को इसका पॉलिटिकल डिविडेंड मिलने की पूरी उम्मीद है।
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