मुजफ्फराबाद। पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (POK) के जिलों में 15वां संविधान संशोधन लाने की पाकिस्तान सरकार की योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर लोगों ने प्रदर्शन शुरू किए हैं। ये संशोधन स्थानीय सरकार की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों को इस्लामाबाद में स्थानांतरित कर देंगे।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ क्षेत्र के सभी 10 जिलों के नागरिकों में आक्रोश है। विरोध प्रदर्शनों के चलते रावलकोट, बाग, पुंछ, मुजफ्फराबाद और नीलम घाटी में हालात खराब हैं।
क्षेत्रीय कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी के मुताबिक, संविधान में 15वें संशोधन को पेश करने से पाकिस्तान इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करने पर नजरें गढ़ाए है। इससे क्षेत्र में सब कुछ पाकिस्तानी सेना और देश के प्रॉपर्टी कारोबारियों के नियंत्रण में आ जाएगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने साम्राज्यवादी एजेंडे को छिपाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा, इसके बाद पाकिस्तान में 80 अरब रुपये की पीओजेके से संबंधित संपत्ति कश्मीर संपत्ति परिषद के अंतरर्गत लाई जाएगी और पीओजेके को इसकी बिक्री तक का अधिकार नहीं होगा।
कर्फ्यू जैसे हालात
डेली सिख के लिए लिखते हुए हरजाप सिंह ने कहा कि 1 जुलाई से क्षेत्र में महिलाएं और बच्चे सड़कों पर बैठकर आजादी के नारे लगा रहे हैं और सेना से बैरक में वापस करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, क्षेत्र में कर्फ्यू जैसे हालात हैं और कुछ जगहों पर इंटरनेट सेवा तक आंशिक रूप से बंद है। टायर जलने के कारण सड़कें सभी तरह के वाहनों के लिए बंद हैं और पाकिस्तानी मीडिया को भी यहां के कवरेज से रोका जा रहा है। 25 जुलाई से प्रदर्शन बढ़े हैं।
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