गुना। संसद में बिजली संशोधन बिल-2022 दोबारा पेश किए जाने के खिलाफ मप्र बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन व जनता दल यूनियन ने संयुक्त रूप से विद्युत वितरण कंपनी के द्वार पर बिल की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।इस दौरान ट्रेड यूनियन लीडर नरेंद्र भदौरिया ने कहा कि आज बिजली संशोधन बिल को आम जनता के तमाम विरोधो के बावजूद पुन: संसद में पेश किया जा रहा है। इसके खिलाफ देश में कमर्चारी व उपभोक्ता संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। क्योंकि, यह आम जनता व कर्मचारियों को बर्बाद कर देने वाला अधिनियम है। सरकार ने बिजली कर्मचारियों के अधिकारों के लिए भी कोई शर्त लगाने की आवश्यकता नहीं समझी।
नया कानून बना था
बिजली कर्मचारियों को पूरी तरह निजी कंपनियों के रहमों करम पर छोड़ दिया है लोकेश शर्मा ने कहा कि देश के पूंजीपतियों के मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए 2003 में देश की तत्कालीन बाजपेयी सरकार द्वारा नया बिजली कानून बनाया गया था, जिसको कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था।
सरकार के नियंत्रण में 3 कंपनियां
इस कानून के तहत विद्युत उत्पादन क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया। जिसका अर्थव्यवस्था की बिजली अब आवश्यक सेवा के स्थान पर मुनाफा कमाने की वस्तु बन गई। राज्य विद्युत बोर्ड भंग कर दिए गए और राज्य विद्युत नियामक आयोग गठित किए गए। बिजली के उत्पादन, संचरण और वितरण तीनों क्षेत्रों को अलग-अलग कर दिया गया। सरकार के नियंत्रण में तीन कंपनियां बनाने की व्यवस्था दी गई।
लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी
बिजली बिल-2022 बिजली क्षेत्र को और अधिक हिस्सों में तोडऩे की छूट देता है। इसमें अनेक कंपनियां, फ्रेंचाइजी और सब फ्रेंचाइजी बनाई जाएंगी। सब फ्रेंचाइजी को सरकारी लाइसेंस की भी जरूरत नहीं होगी। इन सबको मुनाफा तभी मिल पाएगा, जब बिजली के दाम बढ़ाए जाएंगे। बहुत समय नहीं हुआ है, जब बिजली के दाम 2.50 प्रति युनिट थे, जो अब आठ प्रति युनिट हो चुके हैं और यह पेट्रोल-डीजल की तरह लगातार बढ़ते रहेंगे। प्रदर्शन में जनता यूनियन, आल इंडिया पावरमेंस फोरम, आल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी कंजूयमर एसोसिएशन, इंजिनियरिंग एसोसिएशन शामिल हुईं। प्रदर्शन को विकास बंसल, ग्लेडस्टोन बाबू, अशोक शर्मा, घनश्याम शर्मा, पवित्र सलालपुरिया, आनंद ने संबोधित किया। प्रदर्शन का संचालन मनीष श्रीवास्तव ने किया।
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