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    नोटबंदी को आज 6 साल पूरे, 72 फीसदी बढ़ गया कैश

  • November 08, 2022

    • ना भ्रष्टाचार खत्म हुआ और ना आतंकवाद, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भले ही बढ़ गया, सायबर क्राइम बढ़ा

    इंदौर। नोटबंदी को आज 6 साल पूरे हो गए हैं। 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री ने रात 8 बजे राष्ट्र के नाम जारी संदेश में नोटबंदी का ऐलान करते हुए उस समय चल रहे 500 और 1000 के नोट आधी रात के बाद से प्रतिबंधित कर दिए थे और उस वक्त तमाम दावे भी किए गए, जो बाद में फिजुल ही साबित हुए। 72 फीसदी कैश उल्टा बढ़ गया और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में इजाफा भले ही हुआ हो, लेकिन ऑनलाइन साइबर ठगी भी कई गुना बढ़ गई है। आए दिन लोग साइबर ठगी का शिकार होते हैं और नोटबंदी से ना तो भ्रष्टाचार खत्म हुआ और ना ही आतंकवाद का खात्मा हो सका। कैशलेस इंडिया बनाने का दावा भी हवाहवाई ही साबित हुआ। अलबत्ता जीएसटी सहित तमाम तरह के टैक्स भी जनता-कारोबारियों पर थोप दिए गए।

    पहले नोटबंदी और उसके बाद कोरोना ने गरीबी बढ़ाई। नतीजतन बेरोजगारों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ। मगर मीडिया मैनेजमेंट के बलबूते पर केन्द्र सरकार तरक्की के नित नए दावे करती है। आज नोटबंदी को 6 साल पूरे हो गए। अचानक की गई इस नोटबंदी से आम जनता से लेकर छोटे कारोबारियों को काफी परेशानी उठाना पड़ी। बैंकों के सामने लम्बी-लम्बी कतारें लगीं और कई लोगों की तो मौत भी कतारों में ही हो गई। नोटबंदी के वक्त 18 लाख करोड़ रुपए की नकदी चलन में बताई गई थी, जिसमें 500 और 1000 के 15 लाख 44 हजार करोड़ कीमत के नोट प्रचलन में थे। जबकि अभी पिछले दिनों ही 21 अक्टूबर को ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि फिलहाल 30 लाख 88 हजार करोड़ की नकदी चलन में है। यानी 72 फीसदी ज्यादा छापे गए नोट बाजार में आ गए। जबकि नोटबंदी के वक्त कैश यानी नकदी के प्रचलन को घटाने का दावा किया था।


    यहां तक कि दो हजार रुपए के जो नोट छापे गए वेे भी बाजार में देखने को कम मिलते हैं और उनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार के जरिए की जाने वाली अवैध कमाई के संग्रहण के रूप में होने लगा है। दो-दो हजार के नोटों की इसीलिए बाजार में कमी रहती है, क्योंकि ये नोट अवैध रूप से संग्रहित कर लिए गए। इतना ही नहीं, नोटबंदी के बाद 15 लाख 31 हजार करोड़ बैंकों में जमा भी हो गए। यानी कालेधन का जो बढ़-चढक़र दावा केन्द्र सरकार ने किया था वह भी खोखला साबित हुआ और अधिकांश पैसा वापस बैंकों में जमा हो गया। आतंकवाद, नक्सलवाद के खात्मे की बात भी सही नहीं निकली। पुलवामा हमले के बाद आए दिन कश्मीर में ही आतंकवादी हमले होते रहते हैं। हालांकि यह भी सही है कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पहले की तुलना में बढ़ गया है, क्योंकि अब बड़ी संख्या में लोग मोबाइल, इंटरनेट, पेटीएम वॉलेट जैसे विकल्प अपनाने लगे हैं। मगर ऑनलाइन ठगी भी कई गुना बढ़ गई है। विपक्ष नोटबंदी को फिर से आज याद कर कोस रहा है।

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