श्रीनगर (Srinagar)। द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) पर प्रतिबंध (The Resistance Front (TRF) Ban) के बाद भी सुरक्षा बलों के सामने बड़ी चुनौती इसका जमीनी नेटवर्क ध्वस्त (ground network collapsed) करना है। सुरक्षा बल सतर्क हैं कि प्रतिबंधित संगठन का ढांचा आतंकी गुट नाम बदलकर इस्तेमाल न करने पाए। केंद्र और स्थानीय सुरक्षा बल (Security Forces) और आतंक रोधी एजेंसियां (Anti-Terrorism Agencies) समन्वय के साथ स्थानीय नेटवर्क ध्वस्त करने के अभियान में जुटेंगी।
एक अधिकारी ने कहा कि स्थानीय युवाओं को बरगलाकर उन्हें मोहरा बनाया जा रहा है। सीमा पार से घुसपैठ के जरिये हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं। जिसका इस्तेमाल टारगेट किलिंग में हो रहा। लश्कर का छद्म संगठन टीआरएफ हिट स्क्वॉड के जरिये इन घटनाओं को अंजाम दे रहा था। मालूम हो कि वर्ष 2019 से कश्मीर टाइगर्स, टीआरएफ, पीएएफएफ एवं एलईएम जैसे छद्म संगठन कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं।
एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए नए नाम
जैश के दहशतगर्द रहे अनंतनाग निवासी मुफ्ती अल्ताफ उर्फ अबू जार ने आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स के नाम से आतंकी संगठन बनाए जाने का दावा किया था। कश्मीर में मुख्य रूप से तीन आतंकी संगठन सक्रिय थे। इसमें जैश, हिजबुल, लश्कर थे। उसके बाद अल बदर आया। इन संगठनों की वजह से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा तो एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए आईएसआई ने छद्म नाम से आतंकी संगठनों की गतिविधि शुरू करा दी। इससे सुरक्षाबलों के लिए परेशानी बढ़ गई है। नए आतंकी संगठनों को पाकिस्तान से मदद मिलती रही है। सुरक्षा बल के अधिकारियों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने के बाद अब आतंकी संगठन अपने छोटे समूह बनाने में लगे हुए हैं। ऐसा पाकिस्तान के इशारे पर किया जा रहा है। कोशिश है कि अगर पाकिस्तान पर कुछ गिने-चुने आतंकी संगठनों को लेकर दवाब बनता है तो वह नए बनाए गए संगठनों से काम करवा सके।
आतंकियों तक टर्किश पिस्टल पहुंचा रहा पाकिस्तान
अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान ड्रोन और दूसरे तरीके से जम्मू-कश्मीर में नए आतंकियों के मॉड्यूल तक टर्किश पिस्टल पहुंचा रहा है। इन नए आतंकी मॉड्यूल या हाईब्रिड आतंकी के पास ये पिस्टल आईएसआई की मदद से पहुंच रहा। टीआरएफ के नए मॉड्यूल को फाल्कन स्क्वाड का हिट स्क्वाड कहा जा रहा है। ज्यादातर मामलों में यह आतंकी स्थानीय होते हैं। सुरक्षा महकमे के सूत्र बताते हैं कि ये आतंकी 15 से 18 साल की उम्र के होते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन आतंकियों को ऑनलाइन भर्ती किया जाता है। इन्हें ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसा स्क्वाड 1-2 की संख्या में ही हमले को अंजाम देता है। हिट एंड रन की रणनीति पर काम कर रहे ये आतंकी स्क्वाड ओवर ग्राउंड वर्कर के साथ मिलकर काम करते हैं।
कई स्तरों पर अभियान चल रहा
अधिकारियों का कहना है कि आतंकी गतिविधियों को खत्म करने के लिए कई स्तरों पर समन्वय के साथ अभियान चल रहा है। छिटपुट गुटों पर नकेल कसने के लिए ही जमीनी नेटवर्क ध्वस्त करने का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। यूएपीए के तहत आतंकी संगठन के साथ आतंकियों को भी प्रतिबंधित किया जा रहा है, जिससे उनपर पूरी तरह नकेल कसी जा सके। \
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