नई दिल्ली । कर्नाटक (Karnataka) में जारी हिजाब विवाद (Hijab controversy) के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है । इसमें समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय अखंडता की खातिर पंजीकृत शिक्षण संस्थानों में कर्मचारियों तथा छात्रों के लिए समान ड्रेस कोड (Uniform Dress Code ) लागू करने का केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को शीर्ष अदालत के समक्ष हिजाब विवाद से संबंधित अन्य मामलों का उल्लेख त्वरित सुनवाई के लिए किया गया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष लंबित मामले का संज्ञान लिया था। कहा था कि सुप्रीम कोर्ट प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा करेगा और ‘उचित समय’ पर मामले की सुनवाई करेगा। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और अश्विनी दुबे के जरिये निखिल उपाध्याय द्वारा दायर नई जनहित याचिका में केंद्र सरकार को एक न्यायिक आयोग अथवा विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
यह आयोग या समिति सामाजिक और आर्थिक न्याय, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों को सिखाने तथा विद्यार्थियों के बीच भाईचारा, सम्मान, एकता और राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने के उपाय बताएगी। याचिका में केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के सिलसिले में 10 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में हुए प्रदर्शनों का भी संदर्भ दिया गया है।
इस बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हिजाब को लेकर चल रहे विवाद को एक ‘साजिश’ करार दिया है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि यह पसंद का सवाल नहीं है बल्कि यह सवाल है कि क्या कोई व्यक्ति किसी संस्था के नियमों, ड्रेस कोड का पालन करेगा या नहीं। कर्नाटक में तूल पकड़े हुए हिजाब के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि कृपया इसे विवाद के रूप में न लें, यह एक साजिश है।
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