इंदौर। गोपाल कचोलिया अभिभाषक ने मध्यप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से मांग की है कि मध्यप्रदेश सरकार अभिभाषकों की मृत्यु के पश्चात उसके वारिस को पांच लाख रुपए प्रदान करवाने, नवीन अधिवक्तागणों को नवीन अधिवक्ता कल्याण योजना – 2012 के अन्तर्गत 25000/- पच्चीस हजार रूपए प्रदान करने और अभिभाषकों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के लिए जरूरी आवश्यक कार्रवाई शीघ्र अतिशीघ्र करें। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 13/05/2018 को मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में घोषणा की थी कि अब मध्यप्रदेश के अधिवक्ता की मृत्यु के बाद उसके वारिस / नामिनी को पांच लाख रुपए प्रदान किए जाएंगे। नवीन अधिवक्ता गणों को अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नवीन अधिवक्ता कल्याण योजना 2012 के अन्तर्गत 12000/- रूपए की धनराशि के बजाय 25000/- रूपए की धनराशि मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदान की जायेगी। अभिभाषकों की सुरक्षा व संरक्षण हेतु एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र लागू किया जाएगा। अधिवक्ता की मृत्यु के बाद मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद, जबलपुर द्वारा ढ़ाई लाख रुपए और मध्यप्रदेश शासन द्वारा मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत ढ़ाई लाख रुपए प्रदान किए जाएंगे।मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत दिवंगत अधिवक्ता के नामिनी / वारिस को एक लाख रुपए की बजाय ढ़ाई लाख रुपए मृत्यु दावा धनराशि के रूप में प्रदान किए जायेंगे। इसके लिए आवश्यक कार्यवाही शीघ्र की जायेगी। लेकिन आज पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं को अमलीजामा नहीं पहनाये जाने के कारण मध्यप्रदेश शासन द्वारा मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत दिवंगत अधिवक्ता के वारिस / नामिनी को आज भी केवल एक लाख रुपए की धनराशि मृत्यु दावा धनराशि के रूप में प्रदान की जा रही हैं।जो बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए बहुत कम है। इसलिए दिवंगत अधिवक्ता की मृत्यु के पश्चात उसके वारिस / नामिनी को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत एक लाख रुपए के बजाय ढ़ाई लाख रुपए प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री महोदय द्वारा वर्ष 2018 में की गई घोषणा के एक साल बाद से और मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद,जबलपुर के चुनाव के पूर्व वर्ष 2019 से मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद, जबलपुर ने अधिवक्ता की मृत्यु के पश्चात उसके नामिनी / वारिस को मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद की ओर से एक लाख रुपए की बजाय ढ़ाई लाख रुपए प्रदान करना प्रारंभ कर दिया है लेकिन मध्यप्रदेश शासन द्वारा आज भी केवल एक लाख रुपए प्रदान किए जा रहे हैं। जबकि वर्ष 2018 में की गई घोषणाओं के अनुसार दिवंगत अधिवक्ता के वारिसों / नामिनी को ढ़ाई लाख रुपए – ढ़ाई लाख रुपए (250000/- रूपए ) प्रदान करना चाहिए थे। इसी प्रकार नवीन अधिवक्तागणों को भी नवीन अधिवक्ता कल्याण योजना- 2012 के अन्तर्गत केवल 12000/- रूपए की धनराशि प्रदान की जा रही है, जबकि घोषणा के अनुसार अब 12000/- रूपए के बजाय 25000/- रूपए की धनराशि स्वीकृत कर प्रदान की जानी चाहिए थी । गौरतलब है कि अखिल भारतीय बार परीक्षा क्रमांक-14 उत्तीर्ण करने वाले अभिभाषकों को ही 12000/- रूपये की धनराशि प्राप्त हुई है।उसके बाद की परीक्षायें उत्तीर्ण करने वाले अभिभाषकों को आज तक 12000/-रूपये की धनराशि भी नवीन अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत प्राप्त नही हुई है।
मध्यप्रदेश में अभिभाषकों की सुरक्षा व संरक्षण हेतु एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट भी आज तक लागू नहीं हुआ है। जबकि वकीलों पर बढ़ते हमलों की घटनाओं के मद्देनजर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र अतिशीघ्र लागू किए जाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के पडोसी राज्य राजस्थान में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो चुका है।
गोपाल कचोलिया ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि वर्ष 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री महोदय द्वारा की गई सभी घोषणाओं को शीघ्र अतिशीघ्र अमलीजामा पहनाया जाये। अधिवक्ता की मृत्यु के पश्चात उसके वारिस / नामिनी को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत मध्यप्रदेश शासन द्वारा ढ़ाई लाख रुपए प्रदान करने की घोषणा को तत्काल अमलीजामा पहनाया जाये। ताकि अधिवक्ता की मृत्यु के पश्चात उसके नामिनी /वारिस को पांच लाख रुपए की धनराशि मिल सकें। जिसमें ढ़ाई लाख रुपए मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद जबलपुर द्वारा और ढ़ाई लाख रुपए मध्यप्रदेश शासन द्वारा मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के अन्तर्गत प्रदान किए जायें। नवीन अभिभाषकों को भी अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 12000/- रूपए के बजाय 25000/- रूपए की धनराशि प्रदान की जाये।एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र अतिशीघ्र लागू किया जाए।
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