वॉशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस में एक बिल पेश किया गया है, जिसमें भारत को अमेरिका का शीर्ष सहयोगी का दर्जा देने की मांग की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे।
अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने प्रस्तावित बिल ‘यूएस इंडिया डिफेंस कॉपरेशन एक्ट’ में कहा है कि ‘वामपंथी चीन लगातार हिंद प्रशांत महासागर इलाके में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर रहा है। ऐसे में अमेरिका के लिए अहम है कि वह चीन की रणनीति की काट के लिए अपना सहयोग जारी रखे और भारत के साथ ही क्षेत्र के अन्य देशों को ये बताए कि वे अकेले नहीं हैं।’ हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है।
बिल में कहा गया है कि अमेरिका-भारत की साझेदारी चीन के प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी है। ऐसे में कूटनीतिक रणनीति, अर्थव्यवस्था, सैन्य साझेदारी के स्तर पर नई दिल्ली के साथ रिश्ते मजबूत किए जाने चाहिए। बिल में भारत को अमेरिका द्वारा अहम रक्षा तकनीक साझा करने की भी मांग की गई है। गौरतलब है कि बिल में ये भी कहा गया है कि भारत को रूस से हथियार खरीदने की थोड़ी छूट मिलनी चाहिए क्योंकि अभी भारतीय सेना रक्षा उपकरणों की आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर है।
बिल में प्रस्तावित किया गया है कि अमेरिका के करीबी सहयोगियों जापान, इस्राइल और दक्षिण कोरिया के साथ ही नाटो सदस्यों जैसे भारत को भी रणनीतिक सहयोगी का दर्जा दिया जाए। भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाया जाए। बिल में पाकिस्तान के छद्म आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया गया है और मांग की गई है कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो उसको दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी जाए और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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