नई दिल्ली । देश की दो फार्मा कंपनियों ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से कोरोना की अमेरिकी दवा मोल्नुपिराविर (Molnupiravir) के ‘थोड़े गंभीर’ यानी मॉडरेट मरीजों में फेज 3 ट्रायल को रोकने की अनुमति मांगी है. ये कंपनियां इस दवा का ट्रायल ‘थोड़े गंभीर’ यानी मॉडरेट और हल्के लक्षणों वाले यानी माइल्ड मरीजों में कर रही हैं. लेकिन अब मॉडरेट मरीजों में फेज 3 ट्रायल रोकने की मांग की गई है.
मोल्नुपिराविर को कई एक्सपर्ट्स द्वारा कोरोना के इलाज में ‘गेम चेंजर’ भी कहा गया है. दावा किया गया कि ये कोरोना के इलाज के लिए पहली एंटीवायरल दवा साबित हो सकती है. इस दवा को अमेरिकी फार्मा कंपनी मर्क एंड कंपनी (Merck & Co) ने बनाया है. मर्क एंड कंपनी भी अभी इसका ट्रायल कर रही है.
200MG और 400MG कैप्सूल किए जा रहे हैं ट्रायल
देश की दो फार्मा कंपनियों ऑरोबिंदो फार्मा और एमएसएन लैब ने डीसीजीआई की एक्सपर्ट कमेटी के सामने इस दवा के अंतरिम क्लीनिकल ट्रायल नतीजे पेश किए थे. अंतरिम ट्रायल मोल्नुपिराविर के 200MG और 400MG कैप्सूल पर किए जा रहे थे.
एक्सपर्ट कमेटी से कहा कि माइल्ड मरीजों में हो ट्रायल
बीते चार अक्टूबर को हुई डीजीसीआई की एक्सपर्ट कमेटी के साथ हुई बैठक में दोनों ही कंपनियों ने दवा का ट्रायल ‘थोड़े गंभीर’ रोगियों के बजाए ‘हल्के लक्षणों’ वाले रोगियों में करने को कहा है. एक्सपर्ट पैनल ने फार्मा कंपनियों से कहा है कि वो अपनी चिंता लिखित रूप में दें.
क्यों कंपनियों ने की ट्रायल रोकने की मांग
ऑरोबिंदो फार्मा के प्रवक्ता का कहना है कि दवा का ट्रायल माइल्ड मरीजों में प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया. इसके नतीजे भी बेहतर आए हैं. कंपनी ने डेटा एक्सपर्ट कमेटी के सामने पेश कर दिए हैं. वहीं अब तक 100 ‘थोड़े गंभीर’ रोगियों यानी मॉडरेट रोगियों पर भी दवा का ट्रायल किया गया, लेकिन अभी ऐसे रोगियों के रिक्रूटमेंट में दिक्कत आ रही है.
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