नई दिल्ली (New Dehli)। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (State Ladakh)में राज्य के दर्जे को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन (massive protests)हो रहा है। कड़कड़ाती ठंड(bitter cold) के बीच हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे (a large number of people gathered)हो रहे हैं और राज्य का दर्जा (statehood)किए जाने की मांग(Demand) कर रहे हैं। इसके चलते पूरे लद्दाख में बंद जैसी स्थिति देखने को मिली। वे केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस द्वारा संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया है।
लद्दाख के मुख्य शहर लेह में विरोध प्रदर्शन किया
रिपोर्ट के मुताबिक, हजारों पुरुष और महिलाएं इस जमा देने वाली ठंड के बावजूद इकट्ठे हुए और लद्दाख के मुख्य शहर लेह में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने नारे लगाते हुए लद्दाख को राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने, लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग संसद सीटों की मांग की।
केंद्र सरकार पहले प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर चुकी
बता दें कि लद्दाख बंद की स्थिति ऐसे समय में देखी गई है जब केंद्र सरकार पहले ही लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ एक दौर की बातचीत कर चुकी है। हाल ही में केंद्र ने दूसरे दौर की बातचीत के लिए भी घोषणा की थी। केंद्र ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए राज्य मंत्री (गृह मामले) नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है।
केवल नौकरशाही का शासन हो
लद्दाख के लोगों का कहना है कि वे ऐसे केंद्र शासित प्रदेश के तहत नहीं रह सकते जहां केवल नौकरशाही का शासन हो। उन्होंने कहा कि केवल पूर्ण राज्य का दर्जा ही उनकी मांग को पूरा कर सकता है जहां वे क्षेत्र पर शासन करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को खुद चुन सकें। दिसंबर में, केंद्र सरकार ने लद्दाख में अपनी पहली बैठक की थी। इस दौरान इसने लेह और कारगिल के दोनों निकायों से अपनी मांगें को पेश करने को कहा।
दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाया गया था। अगस्त 2019 में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था। लेकिन दो वर्षों भी नहीं बीते और लेह व कारगिल के लोग विरोध करने लगे। उनका कहना है कि वे राजनीतिक रूप से वंचित महसूस कर रहे हैं। इसी लिए संयुक्त रूप से केंद्र के खिलाफ खड़े हो गए। पिछले दो सालों में उन्होंने कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved