नई दिल्ली (New Dehli) । पुरानी पेंशन (pension) नीति बहाल (resumed) करने की मांग को लेकर देशभर के केंद्रीय व राज्य सरकार के कर्मचारी (Employee) हुंकार भरेंगे। दिल्ली (Delhi) के रामलीला मैदान में आज (10 अगस्त) महारैली में शक्ति (Power) प्रदर्शन (performance) कर सरकार पर दबाव डालेंगे।
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इस रैली का आह्वान ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मैन (एनएफआइआर) ने संयुक्त रूप से किया है। दोनों यूनियन ने दावा किया है कि महारैली में एक लाख से अधिक यूनियन के सदस्य पहुंचेंगे। सरकार ने अगर तब भी बात नहीं सुनी तो बड़े स्तर पर हर मंडल व जोन में रेलवे कर्मचारी विरोध-प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से अपनी मांग करेंगे। एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम रघुवैया ने प्रेस वार्ता में कहा कि पेंशन कोई खैरात नहीं है, बल्कि यह कर्मचारियों का अधिकार है। इसे ले कर रहेंगे। सरकार को हमारी मांगों को माननी होगी, अन्यथा अगामी चुनाव में रेल कर्मचारियों का वोट उसी पार्टी को जाएगी जो पुरानी पेंशन लागू करेंगा। एक जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आये केंद्र व राज्य सरकार के कर्मियों में नई पेंशन योजना के खिलाफ काफी रोष है। सेवानिवृत्ति के बाद अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित है क्योंकि जो युवा साथी सरकारी सेवा में 2004 के बाद भर्ती हुए है उनको पुरानी पेंशन योजना से वंचित रखा गया है। नई पेंशन योजना उन पर जबरन थोपी गई है, जिससे लाखों कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में हो गया है।
उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन के महासचिव बीसी शर्मा ने कहा कि सरकार को हमारी मांगों को केंद्र सरकार अनदेखा नहीं कर सकती। आगामी चुनाव में रेल कर्मचारियों का वोट उसी पार्टी को जाएगा जो पुरानी पेंशन लागू करेगा। पेंशन अधिकार महारैली में केन्द्र, राज्य, रेलवे, शिक्षक, रक्षा, पूर्व अर्ध सैनिक बल एवं अन्य सरकारी कर्मचारी के साथ-साथ अन्य संगठनों के सरकारी कर्मचारी पहुंचेंगे। पुरानी पेंशन नीति एक कर्मचारियों का मूल अधिकार है और ये अधिकार सरकार छीन नही सकती। सरकार अभी भी नही संभली तो भारत बंद के दौरान पूरे देश का संचालन ठप हो जायेगा।
वहीं, पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच के राष्ट्रीय संयोजक व ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री कामरेड शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि 1 जनवरी, 2004 के बाद सरकारी सेवा में आये कर्मचारियों के लिए न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) एक छलावा साबित हुई है। जो भी कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनके साथ भारी अन्याय हो रहा है।
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