वाराणसी । काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के निचली अदालत (Lower court) के फैसले पर हाईकोर्ट (High Court) ने रोक लगा दी है. हालांकि, अब वाराणसी (Varanasi) के अष्टभैरव मंदिरों (Ashtabhairava Temples) में से एक लाट भैरव मंदिर से अवैध कब्रों (illegal graves) को हटाने की मांग को लेकर मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया गया है. इस मामले में 21 अक्टूबर को सुनवाई होगी. उधर, काशी विश्वनाथ मंदिर से संबंधित दो वाद को मिसलेनियस के आधार पर दर्ज करके 16 सितंबर को सुनवाई होनी है.
ज्ञानवापी परिसर में मंदिर था या मस्जिद, इसे लेकर दशकों से बहस चल रही है. इस मामले में 1991 से कोर्ट में केस चल रहे हैं. इस मामले में 8 अप्रैल 2021 को सिविल जज सीनियर सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की ओर से ASI सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था. 9 सितंबर को निचली अदालत के इस फैसले पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में किसी तरह की सुनवाई पर रोक लगा दी है.
अब तक वाराणसी की अदालत में 8 केस हुए दर्ज
विश्व वैदिक सनातन संघ की अगुआई में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन के मार्गदर्शन में तीन केस दर्ज कराए गए. अब तक वाराणसी कोर्ट में कुल 8 मामले दाखिल हो चुके हैं. वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में आज काशी विश्वनाथ मंदिर से संबंधित दो और प्राचीन लाट भैरव मंदिर से संबंधित एक परिवाद दर्ज करा दिया गया.
काशी विश्वनाथ मंदिर और मंदिर के नजदीक नंदी के मामले में दो केस फिलहाल मिसलेनियस यानी प्रकीर्ण वाद के रूप में कोर्ट में दर्ज हुए है और अगली 16 सितंबर की तारीख पर दोनों ही केस की पोषणीयता पर फैसला होगा कि आगे केस चलेगा कि नहीं. इन दोनों ही मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी, सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ और विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पार्टी बनाया गया है.
अवैध कब्रों को मंदिर से हटाने की मांग
लाट भैरव मंदिर मामले में अवैध कब्रों को मंदिर से हटाने की मांग की गई है. लाट भैरव मंदिर की मुक्ति के लिए तीन मुस्लिम लोगों को पार्टी बनाया गया है. काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 2 केस में से एक नंदी के मामले में प्रमुख वादी के तौर पर वाराणसी के डोम परिवार के सितेंद्र चौधरी रहे. उन्होंने मांग की है कि विवादित ढांचे के अंदर आदि विशेश्वर के प्राचीन शिवलिंग का दर्शन पूजन कराया जाए. इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर से जुड़े दूसरे मामले में विशेश्वर ज्योतिर्लिंग ने विवादित ढांचा हटाने की मांग को लेकर भी सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में परिवाद भी मिसलेनियस तौर पर ही किया गया दर्ज.
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