इंदौर। विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर इंदौर सहित पूरा देश फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने के समर्थन में उतर आया है। कलेक्टर कार्यालय में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। महिलाओं ने बताया कि 143 करोड़ की जनसंख्या भारत देश को संकट की ओर धकेल दे, इसके पहले जागृत होना जरूरी है।
दो से अधिक संतान होने पर सभी प्रकार की सरकारी सहायता व अनुदान समाप्त करने, 4 से अधिक बच्चे पैदा करने वाले को 10 साल की सजा, 2 से अधिक बच्चों पर सरकारी नौकरी नहीं या सर्विस के बाद 3 से अधिक बच्चे जन्म ले तो नौकरी से निकालने के साथ जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की मांग रखते हुए जनसंख्या समाधान फाउंडेशन ने प्रदर्शन किया। कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देते हुए राष्ट्रीय संयोजक ममता सहगल ने कहा कि देश में जितनी तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, वह चिंताजनक है। चीन को पीछे छोडक़र भारत पहले नंबर पर 143 करोड़ जनसंख्या के पायदान पर पहुंच गया है। संसाधन की कमी ,सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरण का संकट तेजी से बढ़ रहा है, वही गृह युद्ध की भी आशंका गहराते जा रही है। यदि अभी जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू नहीं किया गया तो विकराल स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
11 सूत्रीय मांगे थमार्इं
रैली के रूप में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे लोगों ने जनसंख्या के उचित समाधान के लिए कठोर कानून बनाए जाने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि दो से अधिक बच्चे रखने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाना चाहिए। ऐसे दंपतियों को सरकार द्वारा मिलने वाली सभी प्रकार की सहायता एवं अनुदान पर रोक लगाने का प्रावधान रखा जाए। शासकीय सेवा में दो या दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरी से निकल जाने की मांग, के साथ एक से अधिक विवाह करने वाले दंपतियों को भी दो संतानों का हीं अधिकार दिया जाए। पहले विवाह से यदि दो जीवित संताने हैं तो दूसरे विवाह में संतान उत्पत्ति का अधिकार नहीं हो, कानून का उल्लंघन करते हुए चौथी संतान पैदा करने वालों को 10 साल की कठोर सजा दी जाए। दो से अधिक संतान वाले दंपतियों को जीवन पर्यंत मताधिकार एवं किसी भी प्रकार की चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित किया जाए।
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