बेंगलुरु । लोकसभा चुनाव से ठीक पहले (Just before Lok Sabha Elections) कर्नाटक में (In Karnataka) दलित मुख्यमंत्री की मांग (Demand for Dalit Chief Minister) फिर उठी (Raised Again) ।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार द्वारा ढाई साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद का दावा करने के सभी प्रयास विफल करने के लिए ऐसी मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ ईडी का मामला खारिज किए जाने के बाद उपमुख्यमंत्री शिवकुमार का खेमा उत्साहित है। उनके समर्थक पहले से ही “डी.के. शिवकुमार भावी मुख्यमंत्री” के नारे लगा रहे हैं, जिससे मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उनका खेमा नाराज हो गया है।
सूत्रों ने कहा कि यह लगभग तय है कि उपमुख्यमंत्री शिवकुमार सीएम पद के लिए दावा करेंगे और ऐसी किसी भी परिस्थिति से बचने की कोशिश में सीएम सिद्दारमैया के करीबी सहयोगियों ने, जो कैबिनेट मंत्री भी हैं, राज्य में सत्ता परिवर्तन की स्थिति में दलित सीएम की मांग उठाई है। सहकारिता मंत्री, के.एन. राजन्ना और समाज कल्याण मंत्री, डॉ. एच.सी. महादेवप्पा ने कर्नाटक के लिए एक दलित मुख्यमंत्री के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने बताया कि निस्संदेह, उप मुख्यमंत्री शिवकुमार को उनके खिलाफ ईडी का मामला खारिज होने के बाद बढ़त हासिल हुई है। सीएम सिद्दारमैया खेमा, जिसने हमेशा कहा था कि उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को किसी भी समय सलाखों के पीछे डाला जा सकता है और इससे पार्टी को अपूरणीय क्षति होगी, अब उनके खिलाफ अपना मुख्य हथियार खो चुका है।
गौरतलब है कि सीएम सिद्दारमैया ने भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देकर 2013 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान दो साल के लिए शिवकुमार को कैबिनेट में जगह नहीं दी थी। हालाँकि, शिवकुमार ने हमेशा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को गलत बताया। सूत्रों ने कहा कि ईडी मामला रद्द होने के बाद सीएम सिद्दारमैया अब भ्रष्टाचार का कार्ड नहीं खेल सकते।
उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के एक अन्य करीबी सहयोगी ने कहा कि जेल जाने के बाद भी नेता की पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता और कांग्रेस पार्टी में बने रहने का उनका रवैया अब उनके लिए फलदायी होगा। पूर्व सीएम बी.एस. येदियुरप्पा ने सदन में उन्हें खुला ऑफर देते हुए कहा था कि अगर वह कांग्रेस पार्टी में बने रहे तो वह कभी सीएम नहीं बनेंगे। उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने तब कहा था कि उन्हें दो विकल्प दिए गए थे, एक भाजपा में शामिल होना और दूसरा जेल जाना और उन्होंने दूसरा विकल्प चुना।
शिवकुमार के खेमे ने यह भी बताया कि दक्षिण कर्नाटक के जिले, जिन्हें वोक्कालिगा समुदाय का गढ़ माना जाता है, कांग्रेस पार्टी की ओर स्थानांतरित हो गए क्योंकि उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को सीएम उम्मीदवारों में से एक के रूप में पेश किया गया था। उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने लोकसभा चुनाव को गंभीरता से लिया है तथा यह उनके लिए एक और अग्निपरीक्षा होने जा रही है। सूत्रों ने कहा कि अगर उन्हें वांछित परिणाम मिले तो वह आधिकारिक तौर पर सीएम पद के लिए दावा पेश कर देंगे।
राजनीतिक विश्लेषक रुद्रप्पा चन्नबसप्पा ने बताया कि ईडी के मामले को खारिज करने के बाद उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को सीएम पद का दावा करने का मौका मिल गया है। दो सप्ताह पहले कांग्रेस सांसद डी.के. सुरेश ने कहा था कि उनके भाई शिवकुमार सीएम बनने जा रहे हैं। हालांकि, राजनीति के पुराने खिलाड़ी सीएम सिद्दारमैया के कुर्सी छोड़ने की संभावना नहीं है। उनके खेमे का कहना है कि उन्हें अधिकांश कांग्रेस विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सीएम सिद्दारमैया ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह पूरे पांच साल के लिए सीएम रहेंगे।
मंत्री राजन्ना पहले ही कह चुके हैं कि आलाकमान उनके साथ गुलाम जैसा व्यवहार नहीं कर सकता। सूत्रों ने बताया कि इसे शीर्ष नेतृत्व के लिए सीएम सिद्दारमैया को परेशान न करने की एक सूक्ष्म चेतावनी माना जा रहा है। आलाकमान, जो सबसे समृद्ध और महत्वपूर्ण राज्यों में से एक को खोने के मूड में नहीं है, घटनाक्रम को लेकर चिंतित है।
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