इंदौर संभाग की हजारों एकड़ जमीन गुजरात के पानी में डूबी
इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) ने गुजरात सरकार (Government of Gujarat) से सरदार सरोवर बांध (Sardar Sarovar Dam) के बैकवाटर (Backwater) में डूबी इंदौर संभाग (Indore Division) के चार जिलों में स्थित सरकारी जमीन (Government Land) के मुआवजे की मांग की है। गुजरात सरकार को भेजे गए पत्र में 7669करोड़ का भुगतान मांगा है।
गुजरात में सरदार सरोवर बांध के बनने के बाद प्रदेश से जुड़े मध्यप्रदेश के जिलों में भी काफी असर हुआ निजी जमीनों (Private Lands) सहित सरकारी जमीनों का भी बड़ा हिस्सा डूब में आ गया। जिसके बाद निजी जमीनों के मालिकों (Owners) को गुजरात सरकार ने मुआवजा राशि मुहैया करा दी लेकिन सरकारी जमीनों के लिए कोई घोषणा नहीं की। जिसके बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने सरकार द्वारा संचालित खदानों, राजस्व और वन भूमि के मुआवजे के रूप में 7,669 करोड़ रुपये का भुगतान करने की मांग की है।नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण के लिए जलमग्न भूमि के लिए मुआवजा देकर अधिग्रहण किया गया है ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था और 2019 में ये 138.7 मीटर की उच्चतम क्षमता तक पहुंच गया था।नर्मदा विकास विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि निजी भूमि, मकान और अन्य संरचनाओं के अधिग्रहण के लिए मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है, लेकिन एमपी के निमाड़ क्षेत्र की खदानों, राजस्व और वन भूमि के जलमग्न होने पर मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है।
2019-20 की गाइडलाइन की दर से भुगतान
एमपी सरकार ने अब गुजरात सरकार से धार, खरगोन, बड़वानी और अलीराजपुर जिले के 178 गांवों में खदानों, राजस्व और वन भूमि के लिए मुआवजे के रूप में 7,669 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए संपर्क किया है। विभाग से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि 2019-20 में तैयार की गई संपत्तियों,भूमियो की कलेक्टर की गाइडलाइन दर के आधार पर मुआवजे की मांग की गई थी।इस संबंध में हाल ही में एक बैठक हुई, जिसमें मध्य प्रदेश और गुजरात के अदिकरियो अलका सिरोही और प्रदीप खन्ना के साथ इंदौर संभागीय आयुक्त पवन कुमार शर्मा और एनवीडीए के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
गुजरात के अधिकारी आएंगे सत्यापन के लिए
गुजरात सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की मांग के आधार पर दावों को सत्यापित करने के लिए खुद सर्वेक्षण करेगी। जिसके लिए जल्द ही दलों के इंदौर आने की संभावना है। यदि वे संतुष्ट हुए तो ही भुगतान करने की करवाई आगे बढ़ाया जायगा। यदि संतुष्ट नहीं है, तो दोनों सरकारें, अंतिम निर्णय के लिये सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती हैं। हालांकि संभावना है कि यदि दोनों प्रदेशों के बीच मामला आसानी से नहीं सुलझा तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर किसी अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है ताकि वह मेडिएटर की भूमिका निभा कर मामले का निराकरण कर सके।
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