बेंगलुरु: कर्नाटक में मंदिरों का प्रबंधन करने वाले मुजराई विभाग को मंड्या जिले में मेलकोट के प्रसिद्ध चेलुवनारायण स्वामी मंदिर प्रशासन की ओर से एक प्रस्ताव मिला है. इस प्रस्ताव में हर रोज शाम को होने वाले अनुष्ठान का नाम ‘देवतीगे सलाम’ से बदलकर ‘संध्या आरती’ रखने की मांग की गई है. इस संबंध में मंदिर के पुजारियों, पदाधिकारियों और परिचारकों की उपस्थिति में एक बैठक बुलाई गई थी. बैठक में यह सुझाव दिया गया कि ‘देवतीगे सलाम का नाम संध्या आरती रखा जाए.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वर्षों से ऐतिहासिक चेलुवनारायण स्वामी मंदिर के पुजारी शाम 7 बजे ‘देवतीगे सलाम’ करते आए हैं. फारसी शब्द ‘सलाम’ पर आपत्ति जताते हुए मांड्या जिला धार्मिक परिषद ने जिला प्रशासन को फारसी शब्द को हटाने और उसकी जगह पारंपरिक संस्कृत वाक्यांश ‘संध्या आरती’ रखने के लिए एक ज्ञापन सौंपा. जिला प्रशासन ने धार्मिक परिषद से मिला अनुरोध मुजराई विभाग को भेज दिया है.
टीपू सुल्तान के दौर में शुरू हुई थी प्रथा
इस संबंध में मैसूर स्थित कर्नाटक ओपन यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के प्रमुख प्रोफेसर शाल्वा पिले अयंगर ने कहा कि देवतीगे सलाम प्रथा की शुरूआत हैदर अली और टीपू सुल्तान के शासनकाल के दौरान हुई थी. उन्होंने मंदिर के पुजारियों को उनके सम्मान में पीठासीन देवता की विशेष आरती करने का आदेश दिया था.
टीपू सुल्तान को याद करने की रस्म
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी इसी तरह की मांग करते हुए कहा था कि कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर से देवतीगे सलाम को समाप्त किया जाए, क्योंकि यह मंदिर में टीपू सुल्तान को याद करने की एक रस्म है.
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