नई दिल्ली । कोरोना वायरस (corona virus) का डेल्टा वैरिएंट (delta variant) इंसानों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी जानलेवा है। मई में चेन्नई (Chennai) के अरिग्नार अन्ना जूलॉजिकल पार्क (Arignar Anna Zoological Park) में संक्रमित मिले एशियाई शेरों (Asiatic Lions) में जीनोम सीक्वेंसिंग से डेल्टा वैरिएंट की मौजूदगी का पता चला है। देश में पहली बार नौ एशियाई शेरों में यह वैरिएंट मिला है। जबकि दो शेर की जान वायरस ने ले ली।
नीला और पथबनाथन नामक शेर-शेरनी की मौत तीन और 16 जून को हुई। इन दोनों की उम्र क्रमश: नौ और 12 साल थी। अभी तक अमेरिका और स्पेन के अलावा चेक गणराज्य के शेर कोरोना संक्रमित मिले थे जिनमें अल्फा वैरिएंट की पुष्टि हुई थी लेकिन डेल्टा वैरिएंट का मामला दुनिया में पहली बार भारत में सामने आया है।
मेडिकल जर्नल बायोरेक्सिव में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि सभी शेर के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (आईसीएआर) भेजे गए थे। जहां 11 में से नौ सैंपल में विशेषज्ञों को डेल्टा वैरिएंट मिला। यह सभी बीते मई में कोरोना संक्रमित मिले थे। सीक्वेंसिंग के दौरान ही दो की मौत दर्ज की गई। संक्रमित शेर-शेरनी में भूख न लगना, नाक से खून बहना, खांसी जैसे लक्षण मिले थे। इसके बाद शेरनी- जया, सिंह-शंकर, शेरनी- निरंजना और सिंह- प्रदीप के सैंपल पर अध्ययन आगे बढ़ाया गया। अध्ययन में संक्रमण स्रोत का पता नहीं चला, लेकिन इंसानों की तरह जानवरों में भी डेल्टा वैरिएंट के तेजी से फैलने की पुष्टि हुई है।
गंभीर है डेल्टा का असर
कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट दुनिया में सबसे पहले महाराष्ट्र में मिला था। अब तक यह 84 से भी अधिक देशों में तबाही मचा चुका है। भारत में भी दूसरी लहर इसकी वजह से देखने को मिली थी। यह वैरिएंट न सिर्फ एंटीबॉडी पर हमला करता है बल्कि वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके व्यक्ति में भी संक्रमण की आशंका को बढ़ा देता है। यह काफी तेजी से फैलता है और सांस लेने में दिक्कत जैसे इसके गंभीर लक्षण हैं। डेल्टा प्लस वैरिएंट भी इसी से निकला है जो फिलहाल 10 से 12 देशों में तबाही मचा रहा है।
मरीज के सैंपल से हुई शेर में पहचान
वैज्ञानिकों ने बताया कि बीते 11 जून तक तमिलनाडु से 310 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जानकारी अंतरराष्ट्रीय पोर्टल पर दी गई थी। शेर के सैंपल लेकर जब सीक्वेंसिंग की गई तो वहां उसी इलाके के एक मरीज का सैंपल काफी मिला जुला सामने आया। हालांकि लॉकडाउन के दौरान चिड़ियाघर बंद होने से एशियाई शेरों में संक्रमण स्रोत का पता नहीं चला लेकिन इतना जरूर पता चला है कि नौ में से सात शेर चिड़ियाघर सफारी से जुड़े हैं इनका आश्रय, भोजन स्थान, जलस्रोत इत्यादि एक ही मिला। जबकि अन्य दो शेर अलग स्थान साझा करते थे। इससे साफ पता चलता है कि इंसानों की तरह शेर भी एक दूसरे के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं। यह देश के बाकी चिड़ियाघरों के लिए बेहद गंभीर है।
दो से 18 साल तक के मिले संक्रमित
अध्ययन में जानकारी दी गई कि दो से 18 साल तक की आयु के शेर डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मिले। शेरनी जया, कविता, नीला, निंरजना, जया की मां भुवाना की आयु क्रमश: तीन, 18, नौ, दो और 12 साल दर्ज की गई। जबकि सिंह पथबनाथन, शंकर, प्रदीप, विष्णु, वीरा और शिवा की उम्र क्त्रस्मश: 12,18, दो, चार, 10 और 12 वर्ष मिली।
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