नई दिल्ली । केरल (Kerala) सहित देश के कुछ राज्यों में स्थिति गंभीर होने की वजह से दूसरी लहर (second wave) अभी भी कायम है। ऐसे में इन्साकॉग ने बीते तीन सप्ताह की स्थिति को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक डेल्टा प्लस (Delta Plus) के मामलों में बीते 15 दिन के दौरान न सिर्फ छह गुना अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है बल्कि अकेले डेल्टा स्वरूप से ही अब तक 13 म्यूटेशन (Mutations) हो चुके हैं और हरेक की पुष्टि भारत (India) में हुई है। ऐसे 856 सैंपल की पहचान करने में वैज्ञानिकों को कामयाबी भी मिल चुकी है।
वायरस नहीं हुआ है शांत, कभी भी दिखा सकता है असर
रिपोर्ट के अनुसार नौ से 31 अगस्त के बीच 10 हजार से अधिक सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई थी जिनमें एकमात्र डेल्टा प्लस स्वरूप में 6.44 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसे लेकर इन्साकॉग ने भी चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से अपील की है कि वे कोरोना वायरस पर कतई भरोसा न करें। काफी लोगों को लगता है कि वायरस अब शांत हो गया है लेकिन वैज्ञानिक तौर पर ऐसे साक्ष्य नहीं मिल रहे हैं। वायरस में लगातार बदलाव हो रहे हैं और इनमें से कौन सा म्यूटेशन आगामी दिनों में क्या असर दिखा सकता है? इसके बारे में किसी के पास कोई जानकारी भी नहीं है।
68 फीसदी सैंपल में खतरनाक स्वरूप
वैज्ञानिकों ने कहा कि 68% जीनोम सीक्वेंसिंग में डेल्टा वैरिएंट ही मिला है। यह टीकाकरण के बाद भी लोगों को संक्रमित कर सकता है। वहीं छह महीने पहले संक्रमित हुआ व्यक्ति फिर से कोरोना की चपेट में आ सकता है।
इन्साकॉग ने बताया कि डेल्टा स्वरूप में अब तक एवाई-1 से लेकर एवाई-12 नामक 13 म्यूटेशन मिल चुके हैं। गंभीर बात यह है कि यह सभी भारत में मौजूद हैं और 856 सैंपल में इन सभी म्यूटेशन की पुष्टि भी हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा है कि पुनर्वर्गीकरण के बाद भी डेल्टा भारत में कोरोना वायरस का प्रमुख वंश बना हुआ है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved