
नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार (22 मार्च, 2025) को चेन्नई में ज्वाइंट एक्शन कमेटी (JAC) की पहली बैठक बुलाई, जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार की प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया का विरोध करना था. तमिलनाडु के सीएम के इस पहल ने दक्षिण के बाकी नेताओं का ध्यान भी इस ओर खींचा है. उन्हें डर है कि परिसीमन लागू होने के बाद उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व और अधिकारों को कमजोर कर सकता है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने यहां बैठक को संबोधित करते हुए राजनीतिक और कानूनी कार्ययोजना तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का समर्थन किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस लड़ाई में कानून का भी सहारा लिया जाएगा. स्टालिन ने कहा, ‘‘हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, हम निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं. अधिकार बने रहें, इसके लिए निरंतर कार्रवाई बहुत जरूरी है.’’
स्टालिन ने बैठक को भारत के संघीय ढांचे के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया. उन्होंने कहा कि इस बैठक ने उन राज्यों के हितों की रक्षा के लिए एक आंदोलन की शरुआत की, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है. जेएसी के बारे में उन्होंने कहा कि लोगों में जागरुकता पैदा करना और केंद्र से आग्रह करना बहुत जरूरी है.
JAC ने इन मुद्दों पर सर्वसम्मति से ये संकल्प लिया
- लोकतंत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार की ओर जो परिसीमन का कार्य होना है, उसे पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए. ताकि सभी राज्यों के राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों, और अन्य हितधारकों को इसमें विचार-विमर्श, चर्चा और योगदान करने का मौका मिल सके.
- प्रतिनिधि राज्यों के सासंदों की कोर कमेटी केंद्र सरकार की ओर से किसी भी विपरीत परिसीमन के खिलाफ संसदीय रणनीतियों को लेकर को-ऑर्डिनेट करेगी.
- जेएसी ने कहा कि 42वें, 84वें और 87वें संविधान संविधान संशोधन के पीछे की मंशा उन राज्य को संरक्षण/प्रोत्साहित करना था, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया और राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण (National Population Stabilization) का लक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. JAC के अनुसार जनगणा के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण पर लगी रोक को अगले 25 सालों के लिए फ्रीज कर दिया जाना चाहिए.
- जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया है और जिसके परिणामस्वरूप उनकी जनसंख्या में कमी आई है, उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन करना चाहिए.
- सांसदों की कोर कमेटी वर्तमान संसदीय सत्र के दौरान भारत के माननीय प्रधानमंत्री को उपरोक्त मुद्दों पर संयुक्त रूप के समस्या के बारे में जानकारी देगा.
- बैठक में प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राज्यों के राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपने-अपने राज्यों में विधानसभा प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगे और इसकी सूचना केंद्र सरकार को देंगे.
- जेएसी जनता का सपोर्ट पाने के लिए रणनीति बनाकर अपने-अपने राज्यों के नागरीकों के बीच परिसीमन के इतिहास और उसके परिणाम के बारे में प्रचार करेंगे.