नई दिल्ली । दिल्ली (Delhi) में बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista project) पर तेजी से काम चल रहा है. इस प्रोजेक्ट में देश के नए संसद भवन (new parliament building) और कई नए आवासीय परिसर का निर्माण किया जाना है. इस प्रोजेक्ट को लेकर राजनीतिक दलों की तरफ से कई बार आलोचना की गई. अब इस प्रोजेक्ट का पहला लुक सामने आ चुका है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Avenue ) का काम कुल 85.3 हेक्टेयर में चल रहा है. इसमें कई तरह की खास सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में संसद भवन के साथ साथ प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास का भी निर्माण किया जा रहा है.
लाल ग्रेनाइट पत्थर लगे 1.10 लाख वर्ग मीटर में फैले फुटपाथ और उसके चारों तरफ हरियाली, राजपथ को रोशनी से नहाने के लिए 133 प्रकाश स्तम्भ, 4,087 पेड़, 114 आधुनिक साइन बोर्ड और सीढ़ीदार उद्यान राष्ट्रीय राजधानी में पुनर्विकसित हो रहे सेंट्रल विस्टा का हिस्सा होंगे, जो इसकी छटा में चार चांद लगाएंगे.
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार, सेंट्रल विस्टा को चौबीस घंटे पैदल यात्रियों के लिए अनुकूल बनाने के लिए राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच उद्यानों में और राजपथ के किनारे कुल 915 प्रकाश स्तम्भ होंगे. पुरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘(हालिया) वर्षा के बावजूद सभी कार्य पूरे हो चुके हैं.’’ उन्होंने कहा कि 25 पेड़ों को अपने स्थान से हटाया गया है, जिनमें से 22 पेड़ों को दूसरी जगह ले जाया गया है और तीन को यहां लगाया गया है.
इस वर्ष राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड देखने वाले लोगों को सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत राजपथ का नया रूप देखने को मिलेगा. सेंट्रल विस्टा स्थल का दौरा करने वाले केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि राजपथ पर रविवार को फुल ड्रेस रिहर्सल परेड होगा.
आपको बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम टाटा को दिया गया है. संसद की नई इमारत अक्टूबर 2022 तक तैयार हो सकती है. अब तक इस प्रोजेक्ट का लगभग 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. उम्मीद है कि इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में आयोजित किया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट में संसद भवन से सुरंग के रास्ते प्रधानमंत्री के आवास और सांसदों के चैंबर तक कनेक्टिविटी रखी गई है. इसे प्रोजेक्ट में बाद में जोड़ा गया है जिसकी वजह से प्रोजक्ट की लागत में बढ़ोतरी हुई.
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