नई दिल्ली । दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा है कि वो 17 अगस्त से फाइनल सेमेस्टर की सभी परीक्षाएं ओपन बुक मोड में आयोजित करेगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि ये परीक्षाएं 8 सितंबर को खत्म होंगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा है कि जो छात्र ओपन बुक एग्जाम मोड में परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें एक बार परीक्षा का और मौका दिया जाएगा। करीब 160 पेज के हलफनामे में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा है कि दो चरणों में पांच-पांच दिनों का मॉक टेस्ट आयोजित किया जाएगा। पहला मॉक टेस्ट 31 जुलाई से 4 अगस्त तक होगा। दूसरा मॉक टेस्ट 8 अगस्त से 12 अगस्त तक होगा। एक दिन में मॉक टेस्ट के तीन सत्र होंगे। परीक्षा का मूल्यांकन सितंबर के हफ्ते से शुरु हो जाएगा और ये अक्टूबर के पहले सप्ताह तक चलेगा। परीक्षाओं के रिजल्ट अक्टूबर के पहले हफ्ते से लेकर 30 नवंबर तक जारी होंगे। जो छात्र ओपन बुक एग्जाम मोड वाली परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे उनके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में परीक्षा आयोजित किए जाएंगे। इन छात्रों के लिए परीक्षा खत्म होने के दो हफ्ते के बाद परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा की तिथि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए तय की जाएगी।
पिछले 9 जुलाई को हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को आदेश दिया था कि वह परीक्षा का पक्का शेड्यूल और डेटलाइन तैयार कर कोर्ट को बताए। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने फाईनल ईयर की परीक्षाएं अगस्त महीने के मध्य तक टाले जाने के उसके फैसले की खिंचाई की थी। सुनवाई के दौरान यूजीसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हर यूनिवर्सिटी को सितंबर के अंत तक परीक्षा पूरी कर लेने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए यूनिवर्सिटीज ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
यूजीसी ने फाइनल ईयर के छात्रों को आंतरिक आकलन के आधार पर प्रमोट करने का विकल्प नहीं दिया है। तब कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी ने छात्रों के समक्ष काफी कम विकल्प रखे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी कछुआ की गति से काम कर रही है। हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को अपनी पॉलिसी लगातार बदलने को लेकर फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या आप चाहते हैं कोर्ट यूनिवर्सिटी को मानिटर करे। तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा था कि इस बारे में एक आपात बैठक हुई थी जिसमें ये तय हुआ कि छात्रों को और समय दिया जाए ताकि वे बदलावों के अनुरुप अपने को ढाल सकें। तब कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए पूछा कि लेकिन उस बैठक का हिस्सा यूजीसी नहीं थी।
कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी अंतिम समय तक अपने दस्तावेज दाखिल कर रही है। हमारे पास दस्तावेजों के ढेर लगे हैं। आपने बैठक के मिनट्स समय पर क्यों नहीं दाखिल किए। तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि उप-कुलपति की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला हुआ कि छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए और समय दिया जाए। तब कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से परीक्षा के डेट को लेकर भ्रम के बारे में फटकार लगाते हुए कहा कि छात्रों का करियर दांव पर है। हम आपकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हैं। उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि हम जल्द ही यूजीसी के दिशानिर्देशों के मुताबिक परीक्षा की डेडलाइन का ब्यौरा पेश करेंगे। तब कोर्ट ने पूछा कि जो छात्र अभी परीक्षा के लिए तैयार हैं उनका क्या होगा।
पिछले 7 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा था कि आपको इस बात का अंदाजा है कि छात्र किस मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं। इस तरह आप उनसे परीक्षा की तैयारी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बताया था कि मॉक टेस्ट के दौरान 4 लाख 86 हजार पेपर्स डाउनलोड किए गए थे और कई छात्रों ने डाउनलोड करने की कोशिश की थी। उनमें से 4 लाख 68 हजार फाईल अपलोड किए गए थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बताया था कि फाइनल ईयर में दो लाख 45 हजार छात्र हैं, जिनमें से एक लाख 86 हजार छात्र दिल्ली के हैं जबकि 59 हजार दिल्ली के बाहर के हैं। अब तक एक लाख 58 हजार छात्रों ने आनलाइन परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है।
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