नई दिल्ली (New Delhi)। भारत के दौरे (India tour) पर आए जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Japanese Prime Minister Fumio Kishida) ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के साथ दिल्ली (Delhi) के बुद्ध जयंती पार्क का दौरा किया. यहां उन्होंने गोलगप्पे खाए (Eat Golgappas) और लस्सी भी बनाते देखे गए. किशिदा ने जमकर भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठाया। दोनों नेता पार्क की बेंच पर बैठे और कुल्हड़ (मिट्टी के प्याले) में लस्सी खाई और चर्चा की।
मोदी और किशिदा ने बाल बोधि वृक्ष पर प्रार्थना की. पुष्पांजलि के बाद पार्क में टहलते हुए भी बातें कीं. इससे पहले उन्होंने हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी से मुलाकात की. किशिदा ने पीएम मोदी को इस साल मई में हिरोशिमा में होने वाली जी-7 शिखर सम्मेलन की बैठक में आमंत्रित किया।
जापान ने जी-7 के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया
इस दौरान जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने भारत-जापान संबंधों को विस्तार देने का संकल्प लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फुमियो किशिदा ने वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने का संकल्प लिया। किशिदा ने कहा कि उन्होंने औपचारिक रूप से मई में जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया और उनके भारतीय समकक्ष ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया. दोनों नेताओं ने माना कि विविध क्षेत्रों में दोनों देशों को लाभ पहुंचाने के अलावा शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए संबंधों का विस्तार महत्वपूर्ण है।
दोनों नेताओं के बीच इन महत्वपूर्ण पर वार्ता
एक बयान में पीएम मोदी ने G20 में भारत की अध्यक्षता और जापान के G7 की अध्यक्षता का उल्लेख किया और कहा कि यह वैश्विक भलाई के लिए दोनों पक्षों की प्राथमिकताओं पर एक साथ काम करने का सबसे अच्छा अवसर है. प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों में विशेष रूप से रक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, व्यापार और निवेश और स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की. दोनों पक्षों ने सेमी-कंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्व पर चर्चा की. पीएम मोदी ने किशिदा को अवगत कराया कि भारत और जापान के बीच रक्षा निर्माण क्षेत्र में को-इनोवेशन, को-डिजाइन, सह-क्रिएन के क्षेत्र में मजबूती से काम हो सकता है।
‘भारत का बहुत करीबी साझेदार है जापान’
यूक्रेन संघर्ष पर वैश्विक उथल-पुथल और भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार पर बढ़ती चिंताओं के बीच जापान के प्रधानमंत्री सोमवार सुबह दिल्ली पहुंचे. किशिदा ने कहा कि भारत के साथ जापान का आर्थिक सहयोग तेजी से बढ़ रहा है और यह ना केवल भारत के आगे विकास का समर्थन करेगा, बल्कि जापान के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर पैदा करेगा. जापान भारत का बहुत करीबी साझेदार है, जिसके साथ उसका वार्षिक शिखर सम्मेलन और ‘2 + 2’ विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय संवाद दोनों हैं।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में उभरा है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कारक है. दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल 20.75 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो अब तक का सबसे बड़ा था.
चुनौतियों से मिलकर निपटने का संकल्प लिया
दोनों प्रधानमंत्रियों ने चीन की बढ़ती मुखरता के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के तरीके तलाशने के अलावा स्वच्छ ऊर्जा और सैन्य हार्डवेयर के सह-विकास के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया. मोदी और किशिदा ने G20 की भारत की अध्यक्षता और G7 समूह की जापान की अध्यक्षता में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया।
वार्ता के दौरान मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड ट्रेन के लिए 300 बिलियन येन (लगभग 18,000 करोड़ रुपये) तक के जापानी ऋण की चौथी किश्त के प्रावधान के संबंध में दोनों पक्षों के बीच एक नोट का आदान-प्रदान हुआ. मोदी ने एक बयान में कहा- पिछले साल हमने अगले 5 वर्षों में भारत में 5 ट्रिलियन येन के जापानी निवेश का लक्ष्य रखा. यानी 3,20,000 करोड़ रुपये. यह संतोष की बात है कि इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है. मोदी ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना पर “तेज” प्रगति की जा रही है.
उन्होंने कहा- हमारी आज की मुलाकात एक और वजह से भी खास है. इस वर्ष भारत G20 की अध्यक्षता कर रहा है और जापान G7 की अध्यक्षता कर रहा है. इसलिए, यह हमारी संबंधित प्राथमिकताओं और हितों पर एक साथ काम करने का सही अवसर है. हमने किशिदा को अपने G20 अध्यक्षता के लिए भारत की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया. वहीं, किशिदा ने कहा कि नई दिल्ली के साथ टोक्यो का आर्थिक सहयोग तेजी से बढ़ रहा है. यह न केवल भारत के आगे विकास का समर्थन करेगा बल्कि जापान के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर पैदा करेगा।
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