नई दिल्ली। अमेठी (Amethi) की पूर्व सांसद (Former MP) और भाजपा नेता (BJP leader) स्मृति ईरानी (Smriti Irani) बीते कई दिनों से दिल्ली में पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय हैं और इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। वे पार्टी के सदस्यता अभियान (Party membership campaign) से जुड़े कार्यक्रमों में लगातार जा रही हैं और कार्यकर्ताओं में जोश भर रही हैं। जिसके बाद स्थानीय राजनीति में उनकी संभावित भूमिका को लेकर तमाम अटकलें लगने लगी हैं, साथ ही उनकी सक्रियता देख पार्टी के स्थानीय नेताओं के बीच भी अंदर ही अंदर खलबली मच गई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Former Union Minister Smriti Irani) दिल्ली में ही जन्मी और पली-बढ़ी हैं। इसके साथ ही पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने यह भी दावा किया कि ईरानी ने दक्षिण दिल्ली में एक घर खरीदा है, जो शहर इकाई की गतिविधियों में उनके आगे की भागीदारी का संकेत देता है। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव भी साल 2004 में दिल्ली की चांदनी चौक सीट से ही लड़ा था।
2 सितंबर से शुरू हुए पार्टी के सदस्यता अभियान से जुड़े कार्यक्रमों में स्मृति ईरानी के हिस्सा लेने के बारे में भाजपा नेताओं का कहना है कि उन्हें दिल्ली भाजपा की 14 जिला इकाइयों में से 7 में सदस्यता अभियान की निगरानी करने का जिम्मा सौंपा गया है। इसी वजह से उन्होंने सदस्यता अभियान के तहत दिल्ली भाजपा का तीन दिवसीय संगठनात्मक दौरा किया और नवीन शाहदरा, करोल बाग और नई दिल्ली में कार्यक्रमों में शामिल हुईं और पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित किया।
इस बारे में बात करते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आए हैं, जब पार्टी नेताओं का एक वर्ग ऐसे चेहरे को आगे बढ़ाने पर जोर दे रहा है, जो दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर देते हुए नेतृत्व कर सके।’
इसकी वजह बताते हुए आगे उन्होंने कहा कि ‘साल 2020 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा ने किसी चेहरे या किसी नेता को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनाव लड़ा था, तब पार्टी 70 में से सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी थी, जबकि बाकी सीटें AAP ने जीती थीं।’
स्मृति के यूं अचानक दिल्ली में सक्रिय होने के बारे में बात करते हुए दिल्ली भाजपा के एक अन्य शीर्ष नेता ने कहा कि ‘अगर आने वाले हफ्तों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरने की बात सामने आती है, तो इस जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त नेता को ढूंढने का सवाल भी स्वाभाविक रूप से उठेगा।’
उनके मुताबिक ‘ऐसी स्थिति में, ईरानी के साथ-साथ सांसद मनोज तिवारी और बांसुरी स्वराज, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेव और पश्चिम दिल्ली के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा जैसे अन्य नेता इस भूमिका के लिए संभावित दावेदार हो सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘एक नेता के पीछे पूरी पार्टी का एकजुट होना एकता का संदेश देगा और प्रचार को भी सुव्यवस्थित करेगा।’
भाजपा ने साल 2015 का विधानसभा चुनाव किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर लड़ा था, लेकिन उस चुनाव में पार्टी बुरी तरह विफल रही थी। उन्होंने कहा कि, ‘कुछ नेताओं का मानना है कि चुनावों के लिए सीएम पद का चेहरा दिखाना अच्छा विचार नहीं था। इस पर अब भी बहस होती रहती है।’
भाजपा नेता ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व इस मामले से अवगत है और बाद में इस पर फैसला ले सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल बाहर आते हैं और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होते हैं तो भाजपा का काम और भी कठिन हो जाएगा।
पार्टी नेताओं ने कहा कि अगर शराब घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में बंद आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल को जमानत मिल जाती है तो आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर बहस तेज हो सकती है। बता दें कि केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा।
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