नई दिल्ली। दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots) को आज 1 साल पूरा हो गया। 23 फरवरी, 2020 को ही दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले (North East District) के जाफराबाद (Jafrabad) इलाके में अचानक दोपहर 3 बजे के बाद दंगा (Danga) भड़क गया था, जिसकी आग पूरे जिले में तेजी से फैल गई थी। इसमें 53 लोगों की जान भी चली गई। इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित और दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल (Ratan Lal) भी दंगों का शिकार हो गए थे।
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को भले ही आज एक साल गुज़र गया हो, लेकिन वहां के लोगों को इससे लगे जख्म़ आज भी हरे हैं। नागरिकता कानून में हुए संशोधन के विरोध में शाहीन बाग से शुरू हुआ विरोध उत्तर पूर्वी दिल्ली के उस छोर तक जा पहुंचा, जहां दो समुदायों के बीच में गाहे-बगाहे तनाव का माहौल दिखता रहा। 23 फरवरी से शुरू होकर कई दिन तक चले इन दंगों में दिल्ली पुलिस कुल 751 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) में दंगा मामलों पर बनी स्पेशल कोर्ट में लगातार सुनवाई भी चल रही है।
दंगों के मास्टरमाइंड माने जाने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कांग्रेस पार्टी की पूर्व पार्षद इशरत जहां अभी तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद हैं। वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई दंगों की चार्जशीट पर अभी सुनवाई जारी है। बताते चलें कि 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी के जाफराबाद इलाके में दोपहर 3 बजे अचानक हुए दंगों में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम भी शामिल होने के आरोप लगे थे। लेकिन दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की ओर से दर्ज की गई एफआईआर में कहीं भी उनका नाम दंगों में शामिल नहीं बताया गया है।
कुछ इस तरीके से हुई थी दिल्ली दंगों की शुरुआत : उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कुछ इस तरीके से दंगों की शुरुआत होना माना गया था। उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर 22 फरवरी को सीएए (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा था। इस प्रदर्शन में ज्यादातर महिलाएं शामिल थीं। दंगों के भड़कने का मुख्य कारण भी जांच एजेंसियों ने सीएए के प्रोटेस्ट को ही बताया है।
23 फरवरी को पुलिस को मिली थी यह जानकारी : दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट की मानें तो 23 फरवरी 2020 को दोपहर 3 बजे जानकारी मिली थी कि मौजपुर में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन वाले रास्ते को खाली कराने की मांग को लेकर हजारों की संख्या में लोग जुटे हुए थे और दोनों ही ओर से पत्थरबाजी की जा रही है।
दंगों में डीसीपी शाहदरा हो गए थे गंभीर रूप से घायल : 23 फरवरी 2020 को जाफराबाद में बवाल मचने के बाद आसपास के क्षेत्रों में भी हिंसा और उपद्रव तेज हो गया और इसके चलते 26 फरवरी तक दंगों में करीब 53 लोगों की जान चली गई थी। वहीं, इसमें दिल्ली पुलिस के शाहदरा जिले के डीसीपी अमित शर्मा (DCP Amit Sharma) भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। लंबे समय तक मैक्स अस्पताल पटपड़गंज में उनका इलाज भी चला और उसके बाद ठीक होकर घर लौटे थे।
दंगों में 24 फरवरी को 42 साल के दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल रतनलाल की भी उपद्रवियों ने हत्या कर दी थी, जिसकी तैनाती चांद बाग इलाके में थी। एसीपी अनुज कुमार भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दिल्ली दंगों के मामलों में 13 जुलाई को हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस की ओर से पूरे हालात को बयां करते हुए एक एफिडेविट भी दाखिल किया गया था। इसमें दिल्ली पुलिस की ओर से हाईकोर्ट (High Court) को जानकारी दी गई कि दंगों में मरने वाले 53 लोगों में 40 मुसलमान और 13 हिंदू शामिल थे। बात की जाए दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस की ओर से कुल कितनी एफआईआर दर्ज की गई तो इन दंगों को लेकर अब तक दिल्ली पुलिस कुल 751 एफआईआर दिल्ली के विभिन्न थानों में दर्ज कर चुकी है।
तीन लोगों की नहर में भी मिली थी दंगों के दौरान लाश : दिल दहलाने वाले इन दंगों में तीन लोगों की तो नहर से लाश मिली थी। इनमें एक IB के एक अधिकारी अंकित शर्मा का भी शव बरामद हुआ था। गोकलपुरी नहर से एक और भागीरथी विहार नहर से दो शव बरामद किये थे, जिसको लेकर आम आदमी पार्टी के निष्काषित पार्षद ताहिर हुसैन पर भी गंभीर आरोप लगे थे और आरोप लगे थे कि उनके आवास को दंगों के लिए एक स्पॉट के रूप में प्रयोग किया गया।
जांच एजेंसियों को ताहिर हुसैन के आवाज से यह मिला था दंगों का बड़ा जखीरा
मीडिया ट्रायल के दौरान और जांच एजेंसी की ओर से दंगों के बाद इस जगह पर दंगों में प्रयोग किए गए पत्थर, गुलेल, पेट्रोल बम और दूसरी अन्य आपत्तिजनक सामग्रियां बड़ी संख्या में ताहिर हुसैन के आवास से बरामद हुई थी। दिल्ली दंगों के बाद आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन का नाम आने के बाद पार्टी ने उनको तत्काल प्रभाव से निष्कासित भी कर दिया था। यह सभी आपत्तिजनक सामग्रियां फॉरेंसिक टीम को ताहिर हुसैन के मकान ई-7, खजूरी खास, मेन करावल नगर में मिली थी, जबकि अहम बात यह निकलकर सामने आई थी कि दिल्ली दंगों में जिस मकान को एक अहम स्पॉट के रूप में प्रयोग किया गया। वहीं ताहिर हुसैन के घर को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचा था।
इन इलाकों में ही अकेले 42 लोगों की हो गई थी मौत : उत्तर पूर्वी दिल्ली के सबसे ज्यादा दंगा प्रभावित इलाकों में जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांद बाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार अकेले इन इलाकों में ही 42 लोगों की मौत होने की मामला सामने आया था। इसमें अकेले 200 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर भी मिली थी और बड़ी संख्या में संपत्ति का नुकसान भी हुआ था। दंगों में उपद्रवियों की भीड़ ने इन इलाकों के घरों, दुकानों, सड़क और घरों के आसपास खड़े वाहनों के अलावा भजनपुरा मेन रोड पर एक पेट्रोल पंप में भी आग लगा दी थी। इस दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस पर भी खूब पथराव किया था। तीन दशक का यह सबसे भयानक दंगा बताया गया था।
दिल्ली दंगों के बाद दिल्ली विधानसभा ने गठित की थी पीस एंड हारमोनी कमेटी
दिल्ली दंगों के बाद दिल्ली विधानसभा की ओर से भी एक पीस एंड हारमोनी कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की ओर से कई अहम मीटिंग भी की गईं, जिसमें दिल्ली दंगों को लेकर भी किस तरीके से सोशल मीडिया पर लोगों को भड़काने का काम किया गया। इस पर भी एक लंबी बहस और चर्चा हुई है। इस दौरान कमेटी के चेयरमैन राघव चड्ढा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेषकर फेसबुक के अधिकारियों से भी इस मामले पर जवाब तलब किया है। हालांकि इस मामले पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय सामने नहीं आया है।
दंगों के बाद लोग बेचने लगे अपने मकान : दिल्ली दंगों में प्रभावित इलाकों खासकर बाबरपुर और करावल नगर आदि में दिल्ली दंगा प्रभावित इलाकों में आज भी लोग जब इनको याद करते हैं तो दिल कांप जाता है। वही आज भी वह इन दंगों को याद करते हैं तो एक भयानक मंजर उनके दिमाग में अचानक आ जाता है। वहीं, दंगों के कुछ समय बाद ही बाबरपुर इलाके में तो कई हिंदू घरों ने तो अपने मकान को बेचने के लिए बाहर पंपलेट भी लगा दिए थे। लेकिन स्थानीय नेताओं की ओर से अपील की गई कि ऐसा नहीं किया जाए। सुरक्षा के इंतजाम इलाके में किए जाएंगे। फिलहाल अभी इस तरह की स्थिति सामान्य है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरीके से अभी भी इन इलाकों में अलर्ट हैं।
दंगा प्रभावित लोगों को सरकार ने की थी आर्थिक मदद : दिल्ली सरकार की ओर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिल्ली दंगों से प्रभावित 2221 लोगों की ओर से मुआवजा आदि का दावा किया गया था। इसकी एवज में सरकार ने अब तक 26.09 करोड रुपया दंगा पीड़ितों को उनके दावों के रूप में अदा किया है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार की ओर से अब तक 44 मृतकों के परिजनों को भी मुआवजा राशि दी जा चुकी है। कुल 233 घायल लोगों को भी मुआवजा राशि दी गई है। दंगों में 731 घरों को क्षति हुई थी। इसके अलावा 1176 कमर्शियल जगहों को भी दंगों में बड़ा नुकसान हुआ था इन सभी को दिल्ली सरकार की ओर से दावों के आधार पर मुआवजा राशि अदा की जा चुकी है।
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