नई दिल्ली (New Dehli)। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court)ने शुक्रवार उस केस में दिल्ली पुलिस (Delhi Police)के लिए कोई भी निर्देश देने से इनकार (refusal to give instructions)कर दिया जिसमें एक मुस्लिम महिला ने शिकायत (Muslim woman complained)की थी कि उसे बिना बुर्का थाने (burqa police station)तक ले जाया गया। उसने यह भी कहा कि बिना बुर्का उसकी थाने में परेड भी कराई गई। जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने पुलिस को संवेदनशील बनाने के निर्देश देने की मांग भी खारिज कर दी।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता महिला की मांग थी कि जो महिलाएं धार्मिक मान्यता और अपने व्यक्तिगत पसंद की वजह से पर्दा करती हैं उनके अधिकार के प्रति पुलिस को संवेदनशील किया जाए। कोर्ट ने कहा कि पुलिस जांच में गोपनीयता की जगह नहीं हो सकती है क्योंकि सुरक्षा बहाली और न्याय सुनिश्चत करने के लिए पहचान अहम है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि धार्मिक प्रथा या व्यक्तिगत पसंद की आड़ में गोपनीयता की अनुमति देने से दुरुपयोग का रास्ता खुल सकता है और जांच प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
याचिकाकर्ता रेशमा को उस समय दिल्ली पुलिस थाने ले गई थी जब रकाब गंज इलाके में एक झगड़े की सूचना मिली थी। रेशमा उन तीन आरोपियों की बहन है जिन पर आरोप है कि उन्होंने दो लोगों को पीटा। पुलिस के मुताबिक रेशमा तब बालकनी से गली में सबकुछ देख रही थी और उसने पर्दा नहीं किया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक खुद रेशमा ने ही कहा था कि उसे थाने ले जाया जाए क्योंकि उसे जवाबी हमले का डर था।
उधर, रेशमा के वकीलों ने दलील दी कि पुलिस अधिकारी जबरन घर में घुसे और तड़के तीन बजे उसे घसीटते हुए चांदनी महल पुलिस थाने ले गए। वकील ने कहा कि रेशमा को पर्दा करने का समय नहीं दिया गया, जबकि पुलिसकर्मी जानते थे कि वह पर्दानशीं है।
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